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________________ १८४ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्क बारिषेण श्री विष्णुकुमारा, वज्र कुमार महामुनि प्यारा । ए अष्टातम अंग स्वरूपा, तू सबको शिबदायक भूपा ।।११८।। इनमैं कैयक तदभव तारे, कैयक जन्मांतर जु उधारे । जब तारं जब तू ही तारै, तो बिनु औरन कर्म निवारै ।।११६ ।। अष्टाह्निका महात्म्यंअष्टम दीप नाम नंदीश्वर, ता महि तोहि जु पूजहि सब सुर । वर्ष एक मैं तीन जु वारा, कार्तिक फागुण सुचिव सुवारा ।।१२०।। अमल पक्ष मैं जीन अठाई, अंतिमु बसु दिन पूज कराई । अष्ट मि सौं ले पूनिम ताई, निति निति पूज करें अधिकाई ।।१२१।। अप्ट दिवस को बत ते भास्यो, अप्ट गुणनि परि ब्रिटकार राख्यो । सिद्ध चक्र है नाम जु याको, या करि पइए पति कमला को ।।१२२।।। सम्यक्त्वादि अष्ट महा जे, गुणी प्रभू तो मांहि लहाजे । तिनको इह व्रत अठ दिन करहीं, ते शिव गति अव सुरगति वरहीं ।।१२।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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