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महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्क
बारिषेण श्री विष्णुकुमारा,
वज्र कुमार महामुनि प्यारा । ए अष्टातम अंग स्वरूपा,
तू सबको शिबदायक भूपा ।।११८।। इनमैं कैयक तदभव तारे,
कैयक जन्मांतर जु उधारे । जब तारं जब तू ही तारै,
तो बिनु औरन कर्म निवारै ।।११६ ।। अष्टाह्निका महात्म्यंअष्टम दीप नाम नंदीश्वर,
ता महि तोहि जु पूजहि सब सुर । वर्ष एक मैं तीन जु वारा,
कार्तिक फागुण सुचिव सुवारा ।।१२०।। अमल पक्ष मैं जीन अठाई,
अंतिमु बसु दिन पूज कराई । अष्ट मि सौं ले पूनिम ताई,
निति निति पूज करें अधिकाई ।।१२१।। अप्ट दिवस को बत ते भास्यो,
अप्ट गुणनि परि ब्रिटकार राख्यो । सिद्ध चक्र है नाम जु याको,
या करि पइए पति कमला को ।।१२२।।। सम्यक्त्वादि अष्ट महा जे,
गुणी प्रभू तो मांहि लहाजे । तिनको इह व्रत अठ दिन करहीं,
ते शिव गति अव सुरगति वरहीं ।।१२।।