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________________ १८२ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रति गति देव अगति गात देवा, अतिपति नाथ न जानू खेवा । अतिजुग ईस अतुल जग घेवा, अतिजित जीत न सकिह सेवा ॥१०६॥ अति जति स्वामि अलंकृत रामां, अक्षर रूप अनक्षर नामां । अति मुनिपाल अतुल सुखधामां, अति अघटाल अनंदित कामां ।।१०७।। अति रति त्यागक अति गुरगनाथा, प्रतिहित स्वामी अखिल सुख साथा। अति मतिधीश अनत बड़हाथा, ___ अकरम अकरण रूप असाथा |1१०८ अनुभव रूप अधिक सुखकारी, अभय जु मूल परम रसधारी । अति दुखहरण सु माम तिहारा, अतिभव दूरि करो जु हमारा |॥१०६।। अति सुखिया अति श्रीयुत राया, अनुभव मात्र जु आगम गाया । अचल अमेखि प्रदेश जु ईशा, वोध प्रमारग सदा जु अधीशा ।। ११०।। अदभुत गति तेरी जु गुसाई, तू जु अजान अकारक सांई । तू जु अकर्ता कर्ता कर्मी, तू जु अभुक्ता भोगक धर्मी ॥१११।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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