SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व शास्त्र-भण्डारों में अब तक इनकी निम्न रचना उपलब्ध होती हैं १. ग्रादिनाथ पूजा, २. कवका बत्तीसी, ३. चरखा चउपई, ४. चार मित्रों की कथा, ५. चौबीस तीर्थकर पूजा, ६. चौबीस तीर्थकर स्तुति, ७. जिन गीत, 5. जिनजी की रसोई, ६. सायोकार सिद्धि. १०. नन्दीश्वर पुजा, ११. नेमिनाथ चरित्र, १६. १ मा पूजा, १२. भाभ-नायनी का सालेहा, १४. बाल्य वर्णन, १५. बीस तीर्थंकरों की जयमाल, १६. यशोधर चौपई, १७. वंदना, १८. शांतिनाथ जयमाल, १६. शिवरमणी विवाह, २०. विनती। उक्त रचनायें कवि की काव्य विविधता की प्रोर संकेत करती है। जिनमें सामान्य विषय से लेकर रूपक काव्य तक की रचनामें उपलब्ध होती हैं। कवि प्राकृतिक सौन्दर्य के प्रेमी थे; जो उनकी रचनाओं की विभिन्न प्रशस्तियों से मालूम होती है। ये पाक शास्त्र के भी विगेषज्ञ थे । 'जिन जी की रसोई' कृति में पाक शास्त्र का अच्छा परिचय मिलता है। "शिव रमणी विवाह' में तीर्थंकर की बरात का रूपक बांधा गया है। जिसमें तीर्थकर दुल्हा है सधा मुक्ति को व के रूप में प्रस्तुत किया गया है। तीर्थकर के प्रवचनों को सुनने वाले सभी भव्य जन उनके बराती है। पंचम गति अर्थात् मोक्ष ससुराल है; जहां दे मुक्तिवधु के साथ ज्ञान सरोवर में खूब स्नान किया करते हैं । यञ्चपि इसमें केवल १७ पद्य ही हैं। लेकिन रूपकों का अच्छा रूप प्रस्तुत किया गया है। इसी तरह चरखा चौपई भी एक सुन्दर रूपक कात्र्य है। इसमें कवि ने गागर में सागर भरा है । चरखे को लेकर कवि ने जो रूपक बांधा है, वैसा रूपक अन्यत्र मिलना कठिन है। इस लघु कृति में शील और संयम दो छूटे हैं। शुभ यान ताड़ियां एवं शुक्ल म्यान को घरखे का पाया बनाया है। संसार रूपी जेवड़ी का दामणा, दश धर्म को माल, चार दान को हथली तथा प्रारमा को साक् के रूप में प्रस्तुत किया है। क्षमा की आटियां बनाकर ज्ञान गुफा में रखने की ओर सकेत किया गया है। उस शताबिद में 'चरखा' अत्यधिक लोकप्रिय था तथा सब रोजी-रोटी देने वाला एवं गरीबों का एकमात्र सहारा था ।' - भाव, भाषा एवं शैली को दृष्टि से यह महत्वपूर्ण कृति है । १ ऐसो चरखो गांव कोय, ताके घर अति प्रानन्द होय 1 अजराज थोड़ा में कही, चतर नारि मानि जो सही ।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy