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प्रस्तावना
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कुछ समय चौथ का बरवाड़ा तथा प्रागरा भी रहे थे। सांगानेर प्राने के पश्चात् वे साहित्य निर्माण में लग गये। उन्होंने १० से भी अधिक रचनाए की है। जिनके नाम निम्न प्रकार हैं१. णमोकार रास
संवत् १७६० २. चौबीस दण्डक ३. पुण्यास्रव कथाकोश
१७७३ ४, भद्रबाहु चरित्र ५. अपनक्रिया कोश
१७८४ ६. लब्धि विधान कथा
१७८२ ७. निर्वाण काण्ड भाषा ८. चतुषिंशति स्तुति १. चेनन गीत १०. चेतन लौरी
११. पद संग्रह नेमिचन्द :
आमेर के जिन हिन्दी विद्वानों एवं कवियों ने साहित्य निर्माण में गहरी अभिरुचि ली थी; उन में कविवर नेमीचन्द का नाम विशेषत: उल्लेखनीय है । नेमिचन्द प्रामर की भट्टारक गादी के भट्टारक जगत्कोति के प्रमुख पिध्य थे। वे खण्डेलवाल जाति के सेठी गोत्र के श्रावक थे तथा अपनी आजीविका उपार्जन के अतिरिक्त शेष समय को काव्य रचना में लगाया करते थे । इनके समय में 'भामेर हो' ढूंढाड प्रदेश की राजधानी थी और उनका यश अपनी सोच्न अवस्था में पहुंच चुका था। कवि ने अपनी कृतियों में यामेर नगर का जो सुन्दर वर्णन किया है. उससे नगर के वैभव, सम्पन्नता एवं विशालता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है ।'
नेमियन्द वो भाई थे झगडु इनके छोटे भाई का नाम था। इनके कितने ही शिष्य थे जिनमें टूगरसी एवं रूपचन्द के नाम विशेषत: उल्लेखनीय हैं। कवि की अब तक तीन कृतियों की उपलब्धि हो चुकी है, जिनके नाम नमीश्नर रास, मे मीश्वर गीत एवं प्रीयंकर चौपई है ।।
'नमीश्वर रास' इनकी प्रमुख कृति है। यह हिन्दी का एक पद्य-ग मिश्चित काब्य है। काव्य की कथावस्तु गद्य एवं पद्य दोनों में ही यरिणत है ।
६ प्रशस्ति संग्रहः पृ २७६
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