SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व फिरि फिरि मेरे मेरे आलस का अंस भयो, उनकी सहाय यह मेरे मान माने है । सतरहसे इक्यासिया, पोह पास्न तमलीन, तिथि तेरस रविवार को प्रातक समापत कीन ।।४।। जन शतक स्तुति परक, नीति परक एवं जैनधर्म महिमापरक कृति है । उनकी दूसरी कृति पार्वपुराण है जो हिन्दी की एक बेजोड़ कृति है। यह एक महाकाव्य है। जिसमें २६वें तीर्थकर पार्श्वनाथ के जीवन चरित को निबद्ध किया गया है। भाव, भाषा एवं शैली की दृष्टि से यह कृति भाषा साहित्य की सर्वोत्तम कृतियों में से है । इसकी रचना सं. १७८६ में हुई थी। पार्श्वपुराण' जन-साहित्य में सर्वाधिक लोकप्रिय काव्यों में से है। जिसकी पाण्डुनिमित प्रा:नी जान के ही नहीं किन्तु समस्त देश के शास्त्र भण्डारों में विपुल संख्या में संग्रहीत है। इस पुराण के अतिरिक्त कवि ने हिन्दी पर भी लिखे हैं. जिनकी संख्या ७४ है जो अध्यात्म एवं भक्ति परक है 1 भूघरदास यद्यपि त्रागरे के थे, लेकिन उनका जयपुर के विद्वानों से विशेष सम्बन्ध था। कषि कभी जयपुर माये थे या नही--इसके सम्बन्ध में तो कोई निश्चित तथ्य नहीं मिलते लेकिन यह अवश्य है कि इनका जयपुर के विद्वानों एवं समाज के नेताओं तथा उच्च अधिकारियों से अच्छा परिचम था। प्रागरा के मन्दिरों में स्थित जन भण्डारों की विशेष खोज नहीं होने के कारण अभी इनके जन्म एवं मृत्यु के बारे में निश्चित तिथि नहीं मिलती। लेकिन कषि संवत् १८०० के पूर्व ही स्वर्गवासी हो गये हों. - ऐसा अनुमानित किया जाता है। किशनसिंह : रामपुरा के निवासी थे। रामपुरा जशियारा-टोंक के समीप है तथा जो आजकल अलीगढ़ वे. नाम से जाना जाता है : किशनसिंह के पिता का नाम सुख देव पाटनी था; · जिनके द्वारा अलीगढ़ (रामपुरा) में एक विशाल मन्दिर का निर्माण करवाया गया था तथा जिसका लेख इसी मन्दिर में उत्कीरणं है । मन्दिर की नींघ संवत् १७२१ में लगी थी। किशनसिंह दो भाई थे । आनन्द सिंह इनके लघु भ्राता थे। ये भी खण्डेलवाल एवं पाटनी गोत्र के थे । इनके पिता माथुरदास बसंत के प्रधान थे। उनकी सभी ओर प्रसिद्धि थी। लेकिन किशनसिंह अपने गांव में नहीं रहे और सांगानेर आकर बस गये। वे संभवत:
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy