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________________ १० महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तिटय एवं कृतित्व ही विद्वानों ने इसके प्रचार प्रसार की पोर विशेष योग दिवा था। इनमें कविवर बिहारी की "सतसई" का श्रृंगार रस की महत्यपूर्ण कृति के रूप में समादर होने लगा था। प्रामेर में ही अजयराज पाटनी हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान थे। जिनकी छोटी-बड़ी लगभग २० रचनाए प्राप्त हो चुकी हैं। इनमें मादिपुराण भाषा (१७६७), नेमिनाथ चरित (१७६२), यशोधर चौपई (१७६२) जैसे महत्वपूर्ण रचनाए हैं। प्रजयराज कवि के समकालीन विद्वान् थे। तथा उन्होंने भामेर के सम्बन्ध में अच्छा वर्णन लिखा है। पं. नेमिचन्द भी आमेर के ही कवि थे; जिनकी एकमात्र कृति 'नेमिनाथ रास' हिन्दी का अच्छा प्रबन्ध काव्य है । कवि ने इसे सं० १७६६ में ही समाप्त किया था। सतरास गुणहत्तरे सुदि प्रासोज बसे रवि जाती। रास रच्यो श्री नेमिको, बुद्धि सारु में कियो बखाणती ।। पामेर के समान सांगानेर में भी कवि के पूर्व हिन्दी के कितने ही विद्वान हो चुके थे और उन्होंने भी साहित्य की खूब सेवा की थी। इनमें बह्म रायमल्ल, जोधराज गोदीका, किशनसिंह के नाम विशेषत: उल्लेखनीय हैं । ब्रह्म रायमल्ल सन्त कधि थे और उनकी कृतियों में हनुमत रास', 'श्रीपाल रास', 'सुदर्शनरास', 'भविष्यदत कथा' के नाम उल्लेखनीय है । जोधराज गोदीका की 'सम्यकत्व कौमुदी' कथा उल्लेखनीय कृति है; जिसका रचना काल संवत समकालीन हिन्दी विद्वान् महाकवि दौलतराम का समय सवत् १७४६ से १.२६ तक का है। ८० वर्ष का यह समय भारत के इतिहास का एक धुंधला चित्र उपस्थित करता है । उस काल में राजनैतिक अस्थिरता तो थी ही, सामाजिक दृष्टि से भी समाज में अन्तविरोध था । रूढ़ियों एवं अन्धविश्वासों में वह फंसता जा रहा था। १४ से १८वीं शताब्दी तक अत्यधिक समर्थ भट्टारक संस्था का ह्रास प्रारम्भ हो गया था, तथा समाज में उनके विरुद्ध विद्रोह होने लगा था । अध्यात्म-शलियों ने इस संस्था के ह्रास में विशेष योग दिया । समाज में स्पष्ट रूप से दो दल बन चुके थे। भट्टारकों के समर्धक द्रीस पथ प्राम्नाय वाले कहलाने लगे। जबकि उनके विरोधी एवं समाज सुधारक तेरह पंच अम्नाय वाले कहलाने लगे थे। इसी प्रकार विद्वानों में भी दो विचार-धारायें पाचुकी थी। प्रागरा, आमेर, उदयपुर, जयपुर एवं सांगानेर में विद्वानों का विशेष जोर था। एवं वहां उनका ध्यापक प्रभाव भी था। इन विद्वानों ने सवन् १७५० से
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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