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________________ दस महाकवि दौलतराम परालीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व कृति को भी इन्हें ही पूर्ण करना पड़ा 1 कवि टोडरमल की विद्वत्ता से अत्यधिक प्रभावित थे। इसलिए जब 'स्मार्थ सिद्ध युपाय' को पूरा करने का प्रपन आया, तो रतनचन्द दीवान ने अत्यधिक विनय के साथ दौलतराम से प्रार्थना की तासु रतन दीवान ने कही प्रीत घर एह । करिये टीका पररा उर पा धरम सनेह ।। तब टीका पूरण करी भाषा रूप निधान । "पुरुषार्थसिद्ध युपाय भागा" का रचना काल सं० १८२७ है। इसी वर्ष या इसके कुछ समय पहिल इन्होंने "विवेक विलास से याध्यात्मिक ग्रन्थ को समाप्त किया और फिर "हरिवंश पुराण' जैसी विणाल गा कृति को संवत् १८२६ में समाप्त किया । यह कवि को अन्तिम कृति थी । उगी वर्ष भादवा सुदी २ को उनका स्वर्गवास हो गया । राजस्थान राज्य अभिलेखागार में संग्रहीत रिकार्ड के अनुसार फागुन मुदी ११ को कवि के बद पुत्र अजीतदास की मातमी होने पर राज्न की ओर से सिरोपान प्रदान किया गया । दौलतराम नाम वाले अन्य विद्वान दौलतराम के नाम में शब तक जितने प्रसिद्ध विद्वान हुए। उनमें से कुछ प्रद्धि विद्वान् निम्न प्रकार हैं १ दिलाराम अथवा दौलत राम ये दो के रहने वाले थे और इन्होंने संवत् १= में दिलासा १ अटारहस ऊपरे संवत सत्ताईस मास मार्गशिर ऋतु शिक्षित दोयज रजनीश ।। २ अट्ठारह गौ संवला. ता पर धर गुसातीस । घार शुक्र पूज्यो तिथि, ने मास रति ईस ।।२६।। ३ संवत् १८८६ मिती भादवा सुदि २ बाके मिती फागुण सुदी ११ में बावति मुसारन अलह का बाप की मातमी को सिगाव बखस्यो कीमती साबिक थान ३।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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