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________________ I प्रस्तायना रही थी ! उत्तर भारत का प्रमुख नगर था। मुगल शासकों की राजधानी होने के कारसा वह व्यापार का प्रसिद्ध केन्द्र था। लेकिन इन सबके अतिरिक्त वह मांतिक नगर भी था | और अध्यात्मिक सैली का केन्द्र भी महाकवि बनारसीदास का स्वर्गवास हुए ७० वर्ष से भी अधिक हो गये थे लेकिन उनके द्वारा स्थापित यध्यात्म शैली पूर्ववत बन हम सैली में कविवर भुरदास का व्यक्तित्व उभर रहा था । दोलतराम जब आगरा तो वे इस सैली के सहज ही में नियमित सदस्य बन गये और जब तक श्रागरा रहे, तब तक वे आध्यात्मिक संली में बराबर जाने रहे। अपनी प्रथम कृति "gured कथाकोन" में उन्होंन आध्यात्म संतो एवं उनके सदस्यों का विस्तृत वर्णन दिया है। कुछ समय पश्चात् वै इम सैली के प्रमुख सदस्य बन गये । उनकी विद्वता एवं काव्य प्रतिभा के सभी प्रशंसक हो गये। वे, स्वयं शास्त्र पढने लगे और श्रोताओं को उन्होंने अपनी व्याख्यान से मुग्ध कर लिया। जब उन्होंने महापुराण का स्वास्थाय समाप्त किया तो श्रोताओं ने उन्हें स्वतन्त्र काव्य लिखने को प्रेरणा दी और सर्व प्रथम उन्होंने आगरा रहते हुए ही संवत् १७७७ में कथाकोश' की रचना समाप्त की । कवि श्रागरा में कितने पक रहे इसका उन्होंने कहा भी उल्लेख नहीं किया। लेकिन ऐसा लगता है कि जयपुर स्थापना के पूर्व ही वे बसका नौट आये और यहां कुछ समय अपने परिवार के साथ रहने के पश्चात वे जयपुर आगये । यह समय कोई सं० १७८५-८६ के लगभग होगा। जयपुर नगर का वास तेजी से हो रहा था। बाहर से आने वाले विद्वानों, साहित्यकारों, कत्रियो एवं अन्य विद्या में पारंगत विद्वानों कां मसम्मान जयपुर में बसाया जा रहा था । ऐसे ही समय में इन्हें भी जयपुर तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह ने अपनी सेवा में बुला लिया और सर्वप्रथम संवत् १७५७ आषाढ़ बुदी ८ के शुभ दिन इन्हें जोधपुर के महाराज 1 सिंह की सेवा में मथुरा भेजा गया । मधुरा जाने के पूर्व हनका सम्मान करने हेतु ४१|) रुपये का सिशेषाव 'दया गया। कवि की सूझ बूझ, प्रतिभा एवं कार्य कुशलता के कारण इन्हे संवत् १७६३ की पोयबुदी दशमी के दिन १. संवत् १७८७ मिती प्रमा वदी भैंसह कने भेज्योतीने अजय ४१३ ) धान ३. राजस्थान राज्य 7481 मुकाम मथुरा जो मुसारत अने महरवानगी सिरोपाव कीमती माकि अभिगार रजिस्टर कोमवार पृष्ठ संख्या
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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