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________________ प्रस्तावना घासीराम श्रानन्दराम - -। 1 -.. मियराम - .- .. --- - दौलतराम बाताबरलाल लालबन्द अजीतदास, शंभूनाथ, जादूराम. शीतलदास. जोधगन्न. गृलाबदाम कवि के पिता आनन्दराम भी जयपुर महाराजा की सेवा में थे और जोधपुर के महाराजा अभसिंह के पास जयपुर महाराजा की पोर में दहली में रहते थे। इनका निधन संवत् १७६२ की आषाढ़ सुदी १४ को हुा । जब कवि की आयु ४३ वर्ष की थी । कवि के पिता की मृत्यु के पश्चात इनके बड़े पुत्र एवं कवि के बड़े भाई निर्भयराम को जयपुर महाराजा की और से मातमी का सिरोपाव देहली भेजा गया था । ऐसा राजस्थान राज्य अभिलेखागार में संग्रहीत रिकार में उल्लेख मिलता है । निर्भयराम भी अपने पिता के समान देहली में महाराजा की ओर से अभैसिंह के पास ही रहते थे। कवि के छोटे भाई बख्तावरलाल के बारे में विशेष उल्लेख नहीं मिलता । कधि के ६ पुत्र थे । चार पुत्रों का उल्लेख तो स्वयं कवि ने अध्यात्म मारहखड़ी के इकारान्त वर्णन में किया है जो निम्न प्रकार है : ई में श्री जी की भक्ति प्रार्थना पाइ कवि का कवीला को नाव प्रायो । मानन्द पिता दौलति इत्यादि पुत्र अजितदास इत्यादि चारि दौलति का पुष इति इकारावर स्तुति सम्पूर्ण" । . ऐसा लगता है कि उक्त चार पुत्र अध्यात्म बारहखड़ी की समाप्ति तक (संवत् १७६८ तक हो गये थे । घोष दो पुष जोधराज एवं गुलाबदास बाद में हुए होंगे। जोधराज अपने पिता के समान ही साहित्यिक व्यक्ति थे । इन्होंने संवत् १८८४ में कामा में सुखविलास नामक विशाल संग्रह ग्रन्थ की रचना की थी। इस कृति में इन्होंने अपने आपका निम्न प्रकार परिचय दिया है :४. देखिये दस्तूर कोमवार राजस्थान अभिलेखागार बीकानेरS.No.1252
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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