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________________ १६ महाकवि दौलतराम कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व एक दिवस गंधर्ववत्ता उपवासिया, जाय देहरें पूजि देव गुण रासिया | ग्राम पिता को दई प्रासिका सुभकरी, देखी खेचरराय ताहि जोवन भरी ॥४॥ तब पूछयो परधान नांममति सागरा, देहि कौन कौं याहि कहो गुण प्रागरा | तब वोल्यो परधान सुन भूपाल जो, मंदिरगिर गयो सकल दुख टालजी ||५|| नंदन वन के मांहि पूर्व दिसि बेहुरा । तहां वंदिया देव जगत के सेकुरा । दरसन कारणि नांम विपुलमति चारणा, श्राये हे जोगीस जगत के तारणा ||६| करि प्रणाम मै सुन्यों धर्म जिनराय को, जगत पूजि जग पार कर सुखदाय को । बहुरि पूछियो एह कहो जग तातजी, मेरे नृप की सुता रूप विख्यात जी ||७|| ताहि को पति कौन तवं मुनि बोलिया, मुझ परि होय दयाल अवधि द्विग खोलिया । गंधदत्ता के विवाह की भविष्यवाणी ―T भरत क्षेत्र के मांहि देस मांगा, तहां रामपुर नगर हरे सुरपुर मदा ||८|| सत्यंधर भूपाल सत्य भूषरण घरा, ताके विजया नांम महारांनी परा I तिन को सुत मतिवान वरें तांको सही, कौन रीति करि सोहु धारि तू उर मही ||६||
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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