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________________ १० महाकवि दौलतराम कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व बालक्रीड़ा एवं तपस्वी से भेंट एक दिवस या पुर के पास, कंवर करत हे केलि बिलास । लाख तनी गोली करि वाला, खेलत हे रस रूप रसाली ।।८।। एक पुरिख तापस के रूपा, जीवधर कौं देखि अनूपा । पूछन लागी होय खुश्याला, केती दूरे नगर है लाला ।।६०॥ बोले कंबर सबै इह जाने, बालक चेलक पंथ पिछाने । तू अति वृद्ध ज्ञान न तोकौं, किती दूर पुरै पूछ मोकौं ।। ६१ ।। तरवर सरवर बाग विसाला, बहुरि देखिए खेलत वाला । तहाँ क्यों न लखिये तीत, संक्षे कहाासि पोरस ।। १२॥ ज्यौं लम्बि धूम अगनि हूँ जाने, त्यों बालक लखि पुर परवाने । जीवंधर के सुनिये वनां, तापस "कीये नीचे नैनां ॥३॥ क्रांति कंवर की अर सब चेष्टा, देखी बुद्धि तापसी श्रष्ठा। अर सुनि सुभसुर सुदर बांनी, जामी'बालक है अति ज्ञानी ॥४॥ ऐसा"मान्य जगत जन नाही, परम पुरष प्रगटे भू माही । महाराज परकाज सुधारा, चिह्नन करि लखिए गुरणभारा ॥६५॥ बहुरि बंस परखन की एही, बोल्यो सुनिहो कवर सनेही । भोजन देहु भूख मुझ लागी, तूः बद्ध पर सुत है बड़भागी १६६।। तब दैनौं करि भोजन यांकी, लाये लाला को पिता कौं ।' भोजन तापस कौं दे ताता, तुम ही दाता जगत विख्याती ।।१७।। विन जुक्त सुनि सुत के बना, गंधोतकट पायो प्रति चनां । . धन्य भाग्य अपने ल स्त्रि भाई, लियो कंवर को कंठ लगाई ।।६।। कह्यो सेठ सुनि प्रारण प्रधारा, हम ए करि हैं लार ग्रहारा.), तुम पहली जीमी निचिता, जीवंधर जीवनि के मिंता ।18६ ।। करि सनांन जीमैं हम पार्छ, तापस कौसु जिमावै पार्छ। जनक वचन सुनि भोजन कारन, बैठे जीवघर जगतारन ।।१०।। १ भूल पाठ एमा .. -- .... . . . .
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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