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________________ महाकवि दौलतराम कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व संभवत: कौरपाल के सुपोज भथवा वंशज थे और उन्हीं के समान अध्यात्म सली के प्रमुख सदस्य थे । अध्यात्म विषयक रुचि अमरपाल को परम्परा से मिली होगी ऐसा विश्वास किया जा सकता है । ६६ ७ आनन्दराम : 'आनन्दराम ' महाकवि दौलतराम के पिता थे । सर्व प्रथम 'पुण्यात्रव कथाकोश' में कवि ने आनन्दराम सुत लिखकर अपना परिचय दिया है । आनन्दराम बसवा (जयपुर) के रहने वाले थे। श्रर वहीं रहकर संभवतः अपना कामधन्धा करते थे । प्रानन्दराम के पुत्रों तथा उनकी पत्नी के बारे में afa ने कोई परिचय नहीं दिया है। 'पुण्यास्रव कथाकोश' के अतिरिक्त कवि ने पन क्रियाक्रोश जीवंवर चरित, पद्मपुराण और हरिवंशपुराण श्रादि सभी कृतियों में 'आनन्दराम का सादर उल्लेख किया है। जो उनकी अपने पिता के प्रति अनन्यतम भक्ति का प्रतीक हैं । ८ कदास : ये उदयपुर के रहने वाले थे तथा महाकवि की वास्त्र सभा के प्रमुख सदस्यों में से थे | कवि से 'आध्यात्मबारहखड़ी' लिखवाने में इनका विशेष योग रहा था । ६ खेतसिंह : खेतसिंह दि० जैन श्रग्रवाल मन्दिर, उदयपुर का टहलवा था, जो स्वयं भी पण्डित था। महाकवि दौलतराम ने इनका निम्न प्रकार उल्लेख किया है मण्डी घान की नगर मांहि, जहां जैन मन्दिर महा । तहां टहलवा पंड़ितो इक खेतसिंह नामा कहा || P १० चतुरभुज : ये भी आगरा की अध्यात्म शैली के प्रमुख श्रोता थे। कवि ने इन्हें साधर्मी लिखा है। भगवद् भक्ति की ओर इनकी विशेष रुचि थी। श्रापात्मिक चर्चाओं में भी ये बड़ी रुचि रखते थे। महाकवि दौलतराम को इन्हीं से शास्त्र प्रवचन एवं साहित्य निर्माण की प्रेरश मिली थी। पुण्यास्रव कथाकोश' में कवि ने इनका सादर स्मरण किया है ।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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