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________________ ८८ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व वर्णन भी भक्ति का एक प्रम है । अक्षय तृतीया पर्व के महात्म्य को कबि में निम्न शब्दों में प्रस्तुत किया है-- बैशाखी शुक्ला जु तीज अक्षय मई रिषभ कियो जा दिवस पारनौ विधि ठई। वरष एक उपवास धारि यम घार जो। मारग प्रगट कियो जु मोह मद मार जो ॥५१॥ घटियां श्रे दस पुनीत कियो जाने सही । सो मानुज भवतारि किय सिव ईसही। ईस रसाहारी जु देवपति देव जो अषतीज सम करहु करी हम सेव जो ।।५२ । गद्य निर्माता के रूप में ___ दौलत राम हिन्दी गद्य साहित्य के प्रथम विद्वान् थे जिन्होंने अपनी चार वृहद् गद्य रचनाए साहित्य प्रगत को भेंट की। उनकी प्रथम कृति पूण्यास्रवकथाकोश संवत् १७७७ (सन १७२०) की रचना है। उस समय तक हिन्दी कृतियों का अर्थ पद्यात्मक कृतियों में लिया आता था । यद्यपि डा जयकिशन शर्मा ने मन भाषा गद्य का पूर्ण विकास एवं उसका उत्कर्ष काल संवत् १५०० से १७०० तक स्वीकार किया है और इस काल की कुछ रचनात्रों के नाम भी गिनाए हैं ।' इन कृतियों में या तो लघु गद्य रचनाएँ है या फिर वनिका, दीका सजक रचनाएं है लेकिन कविवर दौलतराम ने हिन्दो गद्य में विशालकाय कृतियां प्रस्तुत की ओर हिन्दी पाठकों में हिन्दी के प्रति गहरी रुचि पैदा की । कवि ने जिस धारावाहिक शैली को अपनाया मागे चलकर सारे जन कवि ही नहीं किन्तु जनेतर वियों ने भी उसी शोली का अनुकरण किया । यद्यपि दौलतराम की चारों ही रचनाओं को हम अनुदित रचनायें वह सकते हैं न केवल अनुवाद अथवा मचनिका मात्र नहीं हैं किन्तु इनमें मौलिकता का सर्वत्र सदभाव है जिससे ये १ हिन्दी माहित्य की प्रतिमा पृष्ठ संख्या ५१२.१३ दौलतराम का हिन्दी गद्य सस्कुस परिनिष्ठ है। वह अपभ्रंस, माकृत तथा देशी शब्दों से मुक्त है । यह ब्रज भाषा का गम है लेकिन फिर भी उम खडी बोली का पूर्व रूप देखा जा सकता है ।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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