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________________ GE महाकवि ब्रह्म रायमल्ल १५. नेमिनिर्वाण यह भी लघुकृति है जिसमें २२ वें तीर्थकर नेमिनाथ का स्तवन मात्र है। उसकी एक प्रति अजमेर के भट्टारकीय शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। मूल्यांकन- इस प्रकार महाफवि ब्रह्म रायमल्ल ने हिन्दी जगत् को १५ कृतियां मेंट करके साहित्य सेवा का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। राजस्थान के से भारत पारों में मिल रही जमतों में हो सकता है और भी कृतियाँ मिल जावें । श्री महावीर क्षेत्र की ओर से प्रकाशित ग्रन्थ सुषियों में ब्रह्म रायमल्ल के नाम से कुछ रचनायें और भी दी हुई हैं लेकिन कृतियों के गहन अध्ययन के पश्चात् बे ब्रह्मा रायमल्ल की नहीं निकली । ऐसी कृतियों में प्रादित्यवार कथा एवं छियालीस ठाणा चर्चा के नाम उल्लेखनीय है । महाकवि ने अपनी सभी कृतियां स्वान्त ! सुखाय लिखी थी क्योंकि अन्य जन कवियों के समान कवि की कृतियों में न तो किसी श्रेष्टि के प्राग्रह का उलवेख है और न किसी भट्टारक के उपदेश का स्मरण किया है । नय प्रशस्तियों में कवि ने अपने गुध का, रचना समाप्ति काल वाले नगर का, नगर के तत्कालीन शासक का पोर वहां के जैन समाज, मन्दिर तथा व्यापार प्रादि की स्थिति का सामान्य उल्लेख किया है लेकिन बह अत्यधिक संक्षिप्त होने पर मी इतिहास की कड़ियों को जोड़ने वाला है तथा तत्कालीन सामाजिक एवं आर्थिक दशा की पोर प्रकाश डालता है । साथ ही में वह कवि के घुमक्कड़ जीवन का भी द्योतक है। महाकवि की सभी रचनाएं कुछ सामान्य अन्तर लिये हुये एकसी घौली में लिखी गयी हैं । सात लघु रचनाओं के विषय में तो हमें कुछ नहीं कहना क्योंकि वे रचनायें प्रायः सामान्य स्तर की है और काव्य की दृष्टि से विशेष महत्त्वपूरणं भी नहीं है । शेष भाठ रचनाएं सभी बड़ी रचनायें हैं और वे कवि की काव्य प्रतिभा की परिचायक है । ये सभी रचनायें रास शैली में लिखी गयी हैं पाहें उनके नाम के आगे रास लिखा हो अथवा चौपई एवं कथा लेकिन सभी रचनामों में कवि ने पाठकों की स्वाध्याय शक्ति का अधिक ध्यान रखा है और अपनी काव्य प्रतिभा लगाने का काम । इन सभी काथ्यों को देशा एवं समाज में काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई क्योंकि राजस्थान के जैन ग्रंथागारों में ब्रह्म रायमल्ल के काव्यों को दो चार नहीं किन्तु पचासों प्रतियां मिलती है। सबसे अधिक पांडुलिपियां भविष्यदत्त चौपई, १. राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रंथ सूची चतुर्थ माग पृष्ठ संख्या ७१२ वहीं पृष्ठ संख्या ७६५
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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