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________________ भाषा की दृष्टि से ७७ श्रीपालरास, एवं मिश्वररास की मिलती है। जिससे इनकी लोकप्रियता का पता चलता है । पाठ बड़ी रचनामों में 'जम्मू-स्वामी रास' की एक पांडुलिपि जयपुर के संधीजी के मन्दिर में संग्रहीत थी । लेखक ने संघीजी के मन्दिर के शास्त्र भण्डार की ग्रंथ सूची बनाते समय उक्त रखना को नोट किया थी और उसका परिचय भी दिया था लेकिन पर्याप्त प्रयास करने पर भी वह पाण्डुलिपि प्राप्त नहीं हो मकी । परमहंस चौपई की सारे राजस्थान में केवल दो भण्डारों में पांडुलिपि प्राप्त हो सकी हैं। वे भण्डार हैं दौसा (जयपुर) एवं अजमेर का भट्टारकीय भण्डार । सभी सधु रचनायें गुटकों में अन्य पाठों के साथ संग्रहीत हैं । भाषा की दृष्टि से भाषा की दृष्टि से महाकवि ब्रह्म रायमल्ल को राजस्थानी भाषा का कवि कहा जायेगा । लेकिन यह राजस्थानी हूवाड़ प्रदेश की भाषा है मारवार एवं मेवाड़ भाषा की नहीं। इसके अतिरिक्त यह राजस्थानी काव्यगत भाषा न होकर वाल की 41 है : पारमा एनं शिलान होकर बदलते रहते हैं। कवि ने रास संशक, कथा संज्जक एवं चौपई संशक सभी कृतियों में इसी बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है । भाषा इतनी मधुर, स्वाभाविक एवं सरल है कि थोडा मी पढ़ा लिखा व्यक्ति कवि के काव्यों का सहजता से रसास्वादन कर कर सकता है । पद्यों के निर्माण में स्वाभाविकता है । उसका एक उदाहरण पेखिये हो जावो बोल्या भारव स्वामो, हो तुम तो जी छो प्राकास्यां गामी । वीप अाई संचरौ जी, हो पूरब पश्चिम केवल शानी। चोथो काल सदा रहेजी, हो तहको हमस्यौँ कहिंज्यो बातों ।।११०॥ इसी तरह एक स्थान पर 'हो हमने जी सीख देण न लागी' राजस्थानी भाषा पाठ का सुन्दर उदारण है' । कवि ने शब्दों एवं फियापदों को राजस्थानी छोलचाल की भाषा मेंपरिवर्तित करके उनका काथ्यों में प्रयोग किया है। ऐसे क्रियापदों में जाणिज्यो (श्रीपाल राम ७१) माणिस्यो (श्रीपाल रास ७३) ल्यायो (प्रद्युम्न रास ) ल्याया (नेमीश्वर रास २३) प्राइयो (श्रीपाल २०६) सुण्या (श्रीपाल २१७) जैसे पचासों क्रियायें हैं । कवि ने इसी तरह राजस्थानी शब्दों का प्रयोग १. प्रद्य म्नरास पद्य संख्या १० २. वहीं पद्य संख्या १६
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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