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________________ जम्बू स्वामी चौपई १३. जम्बू स्वामी चौपई ब्रह्म रायमल्ल का यह बिना संवत् काला प्रबन्ध कान्य है। इसमें भगवान् महावीर के पश्चात होने वाले अन्तिम केवली जम्ब स्वामी के जीवन का वर्णन किया गया है । जम्बू कुमार एक अंष्टि के पुत्र थे जिन्होंने अपनी नव विवाहित पाठ पत्नियों को छोड़ कर जिन दीक्षा घारग करली थी और अन्त में घोर तपस्या के पश्चात निर्वाण प्राप्त किया था। जम्बू स्वामी का जीवन जैन कवियों के लिये पर्याप्त प्राकर्षक रहा है इसलिये सभी भाषामों में इनके जीवन पर प्राधारित काव्य मिलते हैं। प्रस्तुत कृति की एक मात्र पाण्डुलिपि जयपुर के दि. जैन मन्दिर संघीजी के शास्त्र भण्डार के एक गुटके में संग्रहीत है । लेखक ने जब सन् १९५८-५६ में इस मन्दिर के शास्त्रों की सूची बनायी थी तब उक्त रचना को देख कर उसका परिचय लिखा था । उस समय गुटके से विशेष नोटस् नहीं लिये जा सके लेकिन वर्तमान में वह गुटका अपने स्थान पर काफी खोज करने के पश्चात् भी उपलब्ध नहीं हो सका। इसी खोज में ग्रंथ प्रकाशन का कार्य भी कुछ समय के लिये बन्द रखा गया लेकिन उसे टूटने में सफलता नहीं मिल सकी । इसीलिये यहा कृति के नामोल्लेख के अतिरिक्त विस्तृत परिचय नहीं दिया जा सका । भविष्य में प्रस्तुत कृति या तो इसी भण्डार में अथवा अन्यत्र किसी भण्डार में उपलब्ध हो गयी तो उसका विस्तृत परिचय देने का प्रयास किया जावेगा । १४. चिन्तामणि जयमाल यह स्तवन प्रधान कृति है जिसकी एक प्रति जयपुर के दि. जैन मन्दिर के शास्त्र भण्डार के गुटके में संग्रहीत है । भरतपुर के पंचायती जैन मन्दिर में भी उसकी एक पाण्डुलिपि उपलब्ध है। १. राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रंथ सूची चतुर्थ भाग पृष्ठ संख्या ७१० २. राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रंथ सूची चतुर्थ भाग पृष्ठ संख्या पंचम भाग १०५७ d
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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