SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हनुमन्त कथा २७ समय तक राज्य करने के पश्चात् हनुमान को जगत् से उदासीनता हो गयी । उन्होंने मुनि दीक्षा धारण कर ली और महानिर्वाण प्राप्त किया । रचना काल कवि ने अपने इस काव्य को संवत् १६१६ वैशाख कृष्णा ६ शनिवार को समाप्त किया । उसने नम्रतापूर्वक अपने लघु ज्ञान के लिये सब विद्वानों से क्षमा मांगी है। जिसका उल्लेख उसने अपनी प्रशस्ति में किया है। उसने रत्नकीति और मुनि मनन्तको कामों का उल्लेख किया है बार अपने आपको अनन्तकौति का शिष्य स्वीकार किया है । मूलसंघ भव तारण हार, सारद गच्छ गरवौ संसार । रत्नकोति मुनि अधिक सुजाण, तास पाटि मुनि गुराहमिधाम | अमन्तकी ति मुनि प्रगट्यो नाम, कोति अनन्त विस्तरी ताम । मेघ व जे जाइ न गिनी, तास मुनि गुण जाउन भणी । तास सिष्य जिरण चरणां लोरण, ब्रह्म राउमाल मति को होरण । हा कया मौ कियौ प्रकास, उत्तम क्रिया मुरणीश्वर वास । कवि की यह संवतोस्लेख वाली यह दूसरी रचना है । कवि ने इसका रखना स्थन नहीं लिखा है और न तत्कालीन किसी शासक का नाम ही लिखा है । कवि ने प्रारम्भ और अन्त में मुनिसुव्रतानाथ का स्मरण किया है जिससे पता चलता है कि इसकी रचना मुनिसुव्रतनाथ के चैत्यालय में हुई थी 11 प्रस्तुत राम काश्य में ७५७ पद्य हैं जो वस्तुबन्ध, दोहा और चौपई छन्दों में विभक्त है । रास की भाषा राजस्थानी है । १. भणी क्रय मन मैं धरि हर्ष सोलास सोला शुभ वर्ष । रिति वसंत मास वैशाख, नौमि सनीसर करहिं पास ।। २. मूलसंघ भव तारण हार, सारद गच्छ गरवी संसार । रत्नफीति मुनि अधिक सुजारण, तारा पादि मुनि गुणनिधान । अनन्तकीर्ति मुनि प्रगट्यो नाम, कीति अनन्त विश्तरी ताम | मेघ द जे जाइ न गिनी, तास मुनि गुण जासन भणी । तास सिष्य जिण चरणां लीना, ब्रह्म राउमल मति को हीरा । हरण कथा नौ कियो प्रकास, उत्तम क्रिया मुरणीश्वर दास । ३. प्रस्तुत पांडुलिपि एक गुटके में है जो महावीर भवन में संग्रहीत है । गुटका का लखनकाल संवत् १७१६ पौष सुदी प्रतिपदा है ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy