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________________ 356 कविवर त्रिभुवनकीर्ति मही मंडल महिमा पणज, महीमलि मोटु नाम / याकीरति यश पागला, श्री यशकीति अभिराम // 10 // 672 // तस पट्टि उदयाचलिइ, ऊग्यु अभिनव भांण / बाणी जन मन मोहीया, श्री उदयसेन सूरी जाण // 11 // 973 / / तस शिष्याइ अति रूयडउ, रज्यु रास मनोहार / त्रिभुवनकीतिइ सूरीश्वरह, सौक्ष तणु माषार / / 12 / / 674 / / जे कवीयण प्रति ख्यडा, तेणे सोपवु एह / खरू करी विस्तार यु, दोष न प्रामि जेह / / 13 / / 672 / / जाह मंडल महीधर, ओ सायर ससि सूर / ता लगिइ रह रास, जंबू स्वामिनु शान तणु ए // 14 // 676 / / संवत सोल पंचदीसि, जवाछ नयर मझार / भुवन शौति जिनवर तणि, रज्यु रास मनोहार // 15 / / 677 / / इति जंबूस्वामी रास समाप्त / संवत् 1644 वर्ष फागुण मासे शुक्ल पक्षे प्रष्टमं सुक्रवासरे वडवास नगरे प्रादिनाथ चैत्यालये श्रीमत्काष्ठा संघे नंदीतट गम्छे विधागणे म. विश्वभूषण तव शिष्य ब. सामल लहंत /
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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