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________________ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल मा गयी और उन्होंने अपने भाग्य को मराहा। ज्योतिषी को बुलाया गया तथा दोनों के नक्षत्र देने गये । उग्रसेन एवं श्रीकृष्ण ने ज्योतिषी से निम्न प्रकार कहा अहो लेह शुभ लग्न जिव होई कुसलात, रोग विजोगम सांबरौ । स्वामि राइ सनिशर टालि जै लाभ, श्री नेमिजिनेश्वर पाय नमू ।।४।। ज्योतिषी ने दोनों के निम्न प्रकार लग्न देखाअहो माहि जी खडहि कियो बरबाण, ग्यारहु सुर गुरू राजल थान | नेमि नौ सात उरवि लौ, ग्रहो लिख्यौ जी लग्न गीरणी ज्योतिगो यां ज्ञान । ___ सम्बन्ध निश्चित हो गयः सपा ताना बांगल में पान मुमारी हल्दी और नारियल समर्पित कर दी गयी । भगवान श्रीकृष्ण जी द्वारा सुपारी स्वीकार करते ही चारों और हर्ष छा गया । बाजे बजने लगे तथा घर घर में बधावा गाये जाने लगे। पट रस यंजन बनाये गये तथा सभी राजा एक पंक्ति में भोजन करने लगे । भोजन के पचनात् तांबूल दिये गये । वस्त्राभूषण का तो बोई रिकाना ही नहीं था । अन्त में कृष्णा जी को हाथ जोड़ कर विदा किया गया । लगन लेकर जब कृष्ण जी वापिस पहुंचे तो शिवादेवी में नेमिमुमार के विवान की तैयारियां करने को कहा । एक और सुन्दरियां गीत गाने लगी। तेल इत्र छिडका जाने लगा तथा केसर कस्तूरी तथा फलों में सारा राजमहल सुगन्धित होने लगा। दूसरी और विश्वस्त सेवकों को बुलाकर महिष, सुवर, सांभर, रोझ, सियाल आदि को एक बाडा में बन्द किये जाने का प्रादेश दिया गया ।' अहो तब लगु फेसौ जो रच्यो हो उपाउ, सेवक प्रापरणा लीयाजी बुलाई । वेग देव नमो जी गम करौ, ग्रहो छ लाहो महिष हरण सुवरसांबर रोझ सियाल, वेगि हो जाई बाडी रचौ अहो गौरण ओग्नजी सेरिण भोवाल ॥५५।। नेमीकुमार की बारात में सभी यादव परिवार के अतिरिक्त कौरव, पांडव भी थे। बराती सभी सज धज कर भले । अांखों में फजल, मुगल में पान, केजर चन्दन तथा कुचाम के तिलक लगे हुये पालकी, रथ एवं हाथियों पर वे चले । लेकिन जब बारात चली तो दाहिनी पोर रासभ पुकारने लगा, रथ की ध्वजा फट गयी, कुत्ते ने कान फड़फड़ाया, तथा बिल्ली ने रास्ता काट दिया। नेमिकूमार के सेहरा बांधा गया उनके मोतियों की माला लटक रही थी। कानों में कंडल थे तथा मुफूट में हीरे जड़े हये थे । जनके वस्त्र दक्षिण देश से विशेष रूप से मंगाये गये थे। जब बरात नगर में पहुंची तो बाजे बजने लगे। शंख ध्वनि होने लगी। बरात की अगुवानी हुई तथा महाराजा उग्रसेन ने नेमिकुमार से कुपा रखने के लिये निवेदन किया ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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