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________________ जम्बस्वामी रास ३२५ काम रूप देनी भलु विस्मय प्रामी नार । घन अननी घन ए पिता, जे घिर एन कुमार ।।१३।।३४।। जस महिमा निज प्रापणउ, सांभल तु गुणग्राम । मृगांक सभा माहि प्रावीउ, विठल ते निज ठाम ॥१४॥३४३।। कुमर कहि रत्नचूलनि, सांभल' तू' महाराय । तू राजा मोटु अछि, सेवि तुझ खगराय ॥१५॥३४४।। भीठे वचन संतोषिनि, कुमरि मुक्यउ तेह । नगर पधारू श्रापणि, काज करू निज गेह ।।१६॥३४५।। एसा वचन जब सोभली, रत्न चूल कहि वास । श्रेणिक राजा नोयना, भावुतम संधात ।।१७।। ३४६ ।। केतला दिन तिहां रही, विमान रची तिणि वार । पंचसि रच्यां भला, दीसंता मनोहारा ।।१८।।३४७ ।। रतनचूल तब चालीउ, मृगांक कुमर बली साथ । गगनगति वली स्याउ, कन्या छिन्त्रली साथ ।। १६॥३४८ । कुराल गिरि सह ग्रानीया, श्रेणिक छि जहा राय । हरष धरी हीयद्धि घणु, प्रणमि थेणिक पाय ॥२०॥३४६॥ हाल भवदेवनी राग धन्यासी पाकास विमान मकी करी, हेग प्राग्य सह ताम । जम्बू कुपर राय तिहां निल्यारे, मिलि मुहू सेई नाम ।।१।।३५०।। कुरल गिरि सह प्रायोया, भेटत श्रेणिक राम । हरष घरी मन प्रापणि रे, प्रणाछि श्रेणिक पाय ।।२॥३५॥ फुसल कल्याण सहू पूछो उरे, पूछि संग्राम नी बात । पूर्व वृत्तांत कुमरि का रे, तिहूनी बोलि सविक्षात । ३।३५२।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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