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________________ कविवर त्रिभुवनकोति तिहां संघ तणी परिगाजता, भेद्दलइ नही ठाम । तिहां छत्रीस पायधु लेईनि, राइ करि संग्राम ।।२।।३३॥ तिहाँ सबल वैरी तव जाणिनी, सरि देव बाण । तिहा नाग बाण राई मूकीउ, कुमर हज जाण ॥३॥३३२।। तिहाँ गुरड़ तांण कुमरी भरी, मेन निशिकार । तिहां अगनि बांण वैरोधरि, मउ क्यु उ सैन्य कुमार ॥४॥३३३॥ तिहां अगनि सलि हुई. हूउ हाहाकार । तब जरह जीण बलि घणां, बलि रयण अपार ॥श६३३४।। तेह समाबवा मूकीउ, कुमरि मेघ बांण । विहां गाज बीज करी, प्रावीउ प्राप्यु धन प्राण ॥६।।३३५॥ तर बाय बाण राह परीज', कुमर प्रति हेव । तिहां पनि मेघनि वारीउ, हस्यउ सहू सैव ॥७॥३३६।। तव कटक सह नासी गर्ड, नाग सवे भूप । तिहा हा हा कार हूउ धगु, हूउ बली कोप |८||३३७।। आकासि नारद रही, नीयु तिमी धार । देव सबे तिहां नाचीया, बोल्या जय जय कार ॥।॥३३॥ मुख में जम्बु कुमार की विजय वहा-नाग पास मूकी करी, साहउ रतनचूल । सैन्य सबे भंग पामीउ, जिम नासि भृगतूल ॥१०॥१३॥ जय जय शबद तिहां हज, मकान्यू मृगांक । हरष हउ होडि घणउ, को नवि लाभि संक ॥११॥३४॥ नगर प्रवेश राइ नगर सणगारज, नगर कीउ प्रवेस । नगर स्त्री जोइ धणु, करती नव नवा वेम ।।१२॥३४१।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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