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________________ जम्बूस्वामी रास बन क्रीडा वर्णन मुखी श्रेणिक राय सुजाण, रमवा वन भणी चलीउ । चेलणा राहू परिवार, जंचू कुमार वली भावीउए ॥५।। २१५।। सखी वन प्राध्या सहू कोइ, बसंत क्रीडा करि भलीए । सरोबर झील लोक, जंबकुमर भोलि बलीए ।।६।।२१६।। सखी क्रीला करि चिरकाल, सरोवर कठि प्राधीयाए । सज करी याहन सर्व, नगर भणी सदे चालीयारे ।।७॥२१७।। सम्बी मेरी मुगल नाद, ढोल ददमा प्रति वणाए । रण काहृण रणतुर, पारन पाम तेह तणु रे पाव।।२१७॥ हाथी का पागल होना सखो तिणि दिन श्रेणिक नाग, सालि श्रोरी मन रलोए । चाल्यु नगर मझार, दुष्ट पणुधरतु वली रे ।।६।।२१।। सम्वी वन माहि पाठय नाग, वन वृक्ष ऊपाडी यारे । साल तमाल कदंब, मल्लको कपित्थ कमाडी बारे || १२१९। जंबू बंदीर अशोक, महिकार नारिंग वलीए । खजूर कदली द्राव, ऋमक चंपक पाडनीए ।।११।।२२०।। श्रीखंड दामि विलनाल, केर राइण खरोरे । नागवेल वर बोल, प्राखोइ बधाम दुभमरीरे :१२।२२१ ।। सस्त्री घुब खरणी गिरमाल, बहेडा महडा प्रांयती रे । लींबू'द लीबक पार, बीजोरी बीलो बलीरे ।।१३।।२२२।। पाखीए मान पंग प्रमुख, वन वृक्ष महू भाजीयारे । पंखी सबे अनेक तिहुना माला टानीयारे ।।१४।।२२३॥ सखी महामाद पूरयु नाग, अंकृणनि मानि नहीं रे । पास विन रनि नार, राजादिक लोकां म्हरे ॥१५॥२२४।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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