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________________ जम्बूस्वामी रास वोहा मीण गात्र प्रति दूबली. जोवानि नही लाग । मुनिवर वांदी नागला, बिठी अमेवि भाग ।। १५।। धमं वृद्धि भुनि इम कही, पूछि पूर्व विचार । भवदत्त भवदेव द्विज, किस कार ब्यापार ।।२।।६।। वमन सुणी कहि नागला, मुनि हूया भवतार । मामली कि काली, मामला नारि विचार ॥ ४॥ पौवन पायी प्रति घणु, परण्यु भवदेव । नारि तेह बडा किसु करि, किम रहति प्राधार ||५|| वपन अलापिउ लक्षु, जाण्यु ए भवदेव । स्थितिकरण करू पणु, प्रतिबोषं मुनि हेव ||१|| पचन सुणी मुनिवर तणा, छोधि नागला नारि । रे रे मुनिथर तुझ कहु सामलि बचन उदार ॥६॥१०॥ जिन दिक्षा जिन दर्शन, प्रामी घरम संयोग । विषय सुख मन माहि घरी, कुण इछि वर मोग ||७||६|| समकित चितामणि समु, प्रामीनि ममहार । विषय सुख दुर्गाति तणा, दुःख देइ अपार ॥ २॥ स्वरग मुगति सुख दायनी, प्राणी दिक्षा सार । नयरतणी दाता सही, कुष ई छिए नारि ॥६॥६३|| कूड कपटनी कोथली, नारी महिर जाति । नसकि देखी स्याउ, करि पियारी तात ॥१०|| सीमल रयण नवि तेह गमि, हीयाडा सुधरी मोह । रस सुरमि अने रडी, अन्य चावि दोह ।।११।।१५।। दया रहित प्रति लोमणी, धर्म न जाणि सार । दया मणी दीसि सही, रूठी क्रूर अपार ॥१२|६ ।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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