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________________ कविवर त्रिभुवनकीति मुझ धिर स्वामी प्राहार सई, विस मेह : माहार लेई मुनिवर कहिए. अखय अन्नं एह ॥२४॥७३॥ माहार लेई धर्म वृधि कही, चाल्यु तल रवेव ।। कमडल लेई पूठ थकी, चाल्यु भयदेव ।।२५।।७४।। मारग जातो चितविए, किम जाउ गेह । कंकण केरा काज सवि, किम करूय तेह ।।२६।।७।। मारग जातो देखदिए, मरोच नर वन वृक्ष स्वामी जाणउ मुझ गेह. मुभ मंडप दक्ष ॥२७॥७६।। खोलि मूनिवर सूण वष्ठ, नहीं मंडप गेह । चालिनि मुनि मायीयए, बिका तिहां सेह ।।२८॥७॥ देखी मुनिपर बोलिया ए, भाई प्रति बोधी । दिक्षा लेबा ल्याबीउ, भवदेवह सोधी ॥२६॥७८|| वचन सुणी मन चितविए, हवि कर केम । वाघ दोतर विचि पड्यउ, ए जीव घरू फेम ॥३०॥७९॥ लाज' आणी मन पाणिए, मांगि व्रत हेव । ससि दिक्षा मुनिवरिए, दीधी भव देव ॥३१॥८०11 कामिक तप प्रतिघणु ए करि मन प्राणी । नागला रूप सौभाग्य कला, मन माहि जाणि ॥३२।।१।। बर्द्धमान पुर संघ सहित, पाब्या मुनि ताम । ध्यान घरी मुनिवर सहुए, बिठा निज ठाम ।।३३।।२।। माहार लेवा नगर मणी, चाल्यू भवदेव । चैत्यालु सम देखी ए संसि हउ हेव ॥३४॥८३।। वस्तु-तेह मुनिवर तेह मुनिवर प्राव्यु पुर मध्य नेह घरी मन प्रापणि, नागला नारी उपरि अपार । नगर माहि घली पिसंता, देशु चैत्य नव उधार | देखी प्रमाद स्याउ, मन चिति मुनिराय 1 चालीनी तिहा आवीउ, दीठी तिहां एक नारि ।।३५।।४।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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