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वर्तमानपुर नगर वर्णन
हाल यशोधरनी
कविवर त्रिभुवनकोति
सहि
जंबू द्वीप भरह क्षेत्र वर्द्धमानपुर नाम सार भत्री मन मोहि ॥१॥५०॥
मिध्यात्व द्विज प्रतिषणाएं, तेह नयर मकार | वेद स्मृति यज्ञ करीए हणि जीव अपार ||२||११||
स्वरंग मारग लिपि कारणि ए. करि धर्मज एह । जीव तत्व अजीव तत्व नवि जाणि ते ।।३।। ५२ ।।
मिथ्यात्वी द्विज एक वमि, तेह नयर मकार I आर्यवसु तसु नाम मंजु, सोम सर्मा नार ॥४॥१३॥
तश्य तणी कुखि उपनीए, भवदत्त सास्त्र सवे भणावीयाए. पाम्या योजन ते
भवदेव
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। । ५ । । ५४ ।।
प्रष्टादस अरसह तणु ए. हुउ भावदेव बार वरस तणो उलंघए, हुउ भवदेव ।।६।।५४।।
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एक दिवस श्रार्यवसू ए. पापह परिभाव कुष्ट घणु तेह नीसरयुड पाम्यु दुख दाब ॥७।। ५६ ।।
बीवत अस्था परहरीए, काष्टह घणां मेली । बिहा करो प्रवेश कीउ, साथि स्त्री सहेली ॥८॥५७॥
पित् त दुख पुत्र करि, नवि जाणि समं । धिर रह्यां सुख भोगविए, नवि जाणि धर्म ||६|| ५८ ||
एकदा मुनिवर आवीयाए, सौम् स्वाम I ज्ञानवंत यक्षी नायकु ए तेज तणु धाम ॥ १० ॥ ५६ ॥
दश लक्षण घुर धर्म घरि प्रण रश्न भण्डार । क्यारि कषायन ऋण सरन्य, ते रहित संसार || ११ || ६ ||