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________________ १६६ कविवर त्रिभुवनकीति एक दिवस वनपालक, पाठ्यु वनह मकार छह रनां फल देखीनः मन माहि करि विचार ||३२|| श्रोणिक द्वारा भ. महावीर की वंदना समोसरण जिन बीरनु, आव्यु विपुलगिरि राय । हरष घरी मन आपण देव पंचाग पसाय ||३३|| सिंघासन श्री आनंद भेर देइ 7 उतरी, ते दिश नमोज राय I करी, वोरनि वंदन जाय ||३४|| वस्तु - तिप्रिय २ राजा भाव तरी मनपाणि स्नान करी । वस्त्रांग पिहरी सामग्री सवि सज करी । निर्मल भाव मन माहि घरी । राग गुडी ढाल साहेलडोनी. पट हस्ती नगरीनि चाल्यु सवि परिवार | प्रष्ट प्रकार पूजा लेई करतु जय जय कार ||१|| ||३५|| वीर जिणेसर वांदवा जी, चाल्यु श्रेणिक भूप । भाव धरी मन आपणे जी, जाण तु तस्य स्वरूप | हो स्वामीय गुरू बंदण जाई, वीर तप्पा गुण गाई रे साहेलडी || १ || ||२६| गज बिसी राजा बालीउ जी, साथि सहू परिवार | वाजित्र वाजि अति घणा जी, संख्या रहित अपार । हो स्वामी ||२|| ||३७|| मैगल माता प्रति घणा जी, राजवाहन चक्रड़ोस | वाय वेग तुरंगमाजी, तेह् श्रधि बहू मूल ही स्वामी || जग||३||३८|| मस्तक छत्र सोह्रामणु जी, चमर ढलि बिट्ट पास । दान देव राजा अति घणुं जी. याचक पूरि आस हो स्वामी || जन ||४||३१|| मान घरंतु प्रति धणु जी, लागू जिनवर पास । त्रण प्रदक्षणा देईनिजी, पांदि मन उल्हास हो स्वामी || जग || ५ ॥ ४० ॥
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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