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________________ जम्बूस्वामी रास २६५ इस गति चालि चमकती, रूपि भा जाणउ मती। मस्तक वेणी सोहि सार. कंठ सोहिए का उस डार ।।२० । काने कुचल रत्ने जडयां, चरणे नेजर सोवन धशा । मधुर वयण बोलि सुविचार, अग अनोपम् दीसि सार ।।२१।। राय तणी राणी छि इसो, सुख विलास ते हम उल्हमी । तेह सरसु भोगवह सुख भोग, तेह सरसु भवि लहि वियोग ।।२२।। काल गउ नवि जाणि राय, राज्यपालि जिन पूजि पाय । चिहु प्रकार देह बहु दान, मन अहिङ्कार न धरि मान ।।२।। पुण्यि धरि घोड़ा नीलाम, पुण्यि घिर लक्ष्मी तु वाम । पुण्य पिर रिघि अविसार, ए सहू पुण्य तणु विस्तार ॥२४॥ भगवान महावीर के समवसरण का आगमन दहा-एक दिवस विपुलाचलि. प्राध्या वीर जिणंद । समोसरण धनदि रचउ सीख लेइ त ब द ।।२५।। रयण सुवर्ण रूपयामि, घूली गढ़ ए च्यार गढ गढ प्रति सोभति पोल अछिच्यार च्यार ||२६।। मानस्तंभ अति रूमडा सोहि च्यार उत्तंग । यायव सिद्ध जा सह लहि, माहवानन करि चंग ॥२७॥ निमय प्रादि प्रति भली, बार सभा माईत । चतुर्निकाई देवता, तिहां अछि अनंत ।।२८।। मध्य सिंघासण विसणि, विठा जिनपर भाण । सप्त भंगी वाणी हुई, गोजन एक प्रमाण ॥२६॥ भामंडल पूठि भलु . दिनकर कोडि समान । छत्र अय अति रूयडा पंच, परि बली ज्ञान ।।३०।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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