SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 297
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६४ कविवर त्रिभुवनकीति मेर थकी दिक्षण विभाग, भरत क्षेत्र बमि तिहां लाग । पंत्रसि योजन छत्रीस. छह कलावर जाण ईश |६|| मगध देश अछि तिहां चंग, सविहू देश माहि मन रंग । राइण केल अनिसहकार, दाडिम द्राव तणत नहीं पर ।।१०।। ठाम दाम दीसि प्रासाद, झालरि हॉल दादांमा नाद । कनक कलस ध्वजा लहकंत, ठाम ठाम मुनिबर महत ।।११।। मटंब धोख करबट छिपणा, पुर पाटण नगर नहीं मणा । टाम ठाम पर्वत उत्सग, मुनिवर ध्यान धरि रही श्रग ।।१२॥ देश मध्य मनोहर ग्राम, नयर राजग्रह उत्तम ठाम । गढ़ मढ़ मदिर पोल पगार, परहटो हाट तणु नहीं पार ।। १३11 धनयंत लोग दीसि तिहां घणा, सज्जन लोक तणी नहीं मणा । दुर्जन लोक न दीसि ठाम, चोर चरड नहीं तिहां ताम ।।१४।। धरि परि वाजिन्न वाजि चंग, घिर घिर नारी रि मन रंग । धिर धिर उछध दीसि सार, एह सहू पुण्य तण विस्तार ।।१।। राजा धेणिक एवं चेलना रानी का वर्णन तिणि मयर श्रेणिक छि राय, सवि भूपती जीता भडवाय । शन करी सुर वृक्ष समान, याचकनि देह बहुदान ।।१६।। धर्म त राय करि विस्तार, पाप तणु करि परिहार । समकित रयण भूक्ष पारीर. कामदेव सम रुपि धीर ।।१७।। ज्ञान विज्ञान जाणि सवि भूप, जीवा जीवा जाणि स्वरूप । प्रथम तीर्थकर मनागत सार, कर्म ताणुउ करि परिहार ।।१।। से धरि राणी चेलना कही, सली सरोमण जाणु सहो । समकित भूक्षउ तास सरीर, धर्म ध्यान घरि मन धीर ।।१६।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy