SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७८ कविवर त्रिभुवनकोति मन्तिम माग सात तत्व पुण्य पाप, काल निर्णय तिहां करइ । त्रिसठि पुरषाक्षान, पंपास्तिकाय उच्चरइ ।।४२।। श्रावक नियती धर्मा, भेदाभेद सह कही । विहारी तणी इच्छाइ, देस विदेस जाइ सही ।।१३।। द्रोण मगध तिलंग, मालब द्रावड गुज्जर । पंचाल माहोभोट, कर्णाद फोबोज कस्मीर ।।४।। तिहां रही अक्षर पंच, ते प्रकृति क्षय करी । प्राम्या सिद्ध नउ ठाम, अष्ट गुणा मला वरी ||५|| तिहां नहीं रोग वियोग, रूप वर्ण गंध नहीं । जिहां नहीं बामग मणं, नारीय पुत्र जिहां नहीं ।।४६॥ जिहां नहीं रोग वियोग, रागदेष जिहां नहीं । जीवंधर मूनि राय, से स्थानिक प्राम्यु सही ।।४७।। जे मुनिसद्द पंच, तप्य करी स्वगि गया । तप करी सवे नारि, स्त्री लिग छेदी देव हुमा ।।४ati महीपलि पाई नर, चारित्र नई बली प्रामसह । करीय कर्मा नउ क्षय, सेस विमुक्ति जाय सह ।।४।। नींबई गछ मझार, रामसेनान्वयि हवा । श्री सोमकीरति विजयसेन, कमलकीरति यशकीरति हवउ ।।५।। तेह पाटि प्रसिद्ध, चरित्र भार धुरिधरो । वादीय भंजन वीर, श्री उदयसेन सूरीश्वरो ॥५१॥ प्रणमीय ते गुरू पाथ, त्रिभुवन कीरति इम बीनवइ । देयो तम्ह गुणग्राम, अनेरी काई वाडा नहीं ।।५२ ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy