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जीवन परिचय एव मल्यांकन
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एक बार रानी ने पांच स्वप्न देने । प्रातः काल होने पर राजा ने जब स्वप्नों का फल' बतलाया और कहा कि रानी के पुत्र होगा किन्तु उसका पिता पदि उसका मुख देख ले तो तत्काल उसकी मृत्यु हो जायेगी । इससे रानी एवं राजा दोनों को ही गम्भीर चिन्ता उत्पन्न हुई । गर्भ बहने लगा पौर रानी को प्रकाश भ्रमण की इन्वा हुई । राजा ने मयूर यंत्र की रचना करके रानी की इच्छा पूरी की । राजा रामी के प्रेम में ही रहने लगा और समस्त राज्य काष्टांगार को सौंप दिया। लेकिन काष्टांगार को इतने से ही सन्तोष नहीं हुा । उसने धर्मदत्त मन्त्री को बन्दीग्रह में डाल दिया पोर वह सेना लेकर राजा के घात के लिए भागे बढ़ा । राजा को जब मन्त्री की कुटिलता का भान हुमा तो उसने गर्भवती सनी को मयूर यंत्र में बिठाकर प्राफाश में उडा दिया और स्वयं वैराग्य चारण कर ध्यान करने लगा लिया लेकिन काष्ठागार को यह भी सहन नही हुप्रा । शुभ ध्यान में लवलीन राजा की हत्या कर दी गयी । उधर रानी का विमान प्रमशान में उतर गया और वहीं उसके पुत्र उत्पन्न हो गया । उसी दिन नगर की सेठानी सुनन्दा के मृत पुत्र उत्पन्न हुआ। जब उसे दाह संस्कार के लिए श्मशान में लाया गया तो रानी ने अपना पुत्र उसे दे दिया । सेठ गंधोत्कट ने पुत्र प्राप्ति पर खूब उत्सव मनाया और उसका नाम जीयपर रखा। सनी सिद्धार्थ सहायता से अपने भाई के पास चली गई।
मेघमुर में बेचरों का निवास था । वहाँ सभी जिनधर्म का पालन करते थे । वहां का राजा लोकपाल था । मन पटल को देखने के पश्चात् राजा को वैराग्य हो गया पौर उसने मुनि दीक्षा धारण कर ली । एक बार जब मुनि श्राहार को ये तो दही एव चूर्ण का प्राहार लेने से उन्हें भस्म व्यापि हो गयी । म्याधि के प्रभाव से वे भाहार के लिए निरन्तर घूमने लगे। एक बार वे गंधोत्कट सेठ के यहाँ गये । उनकी क्षुघा बहुत सा कच्चा पक्का पाहार करने पर भी शान्त नहीं हुई। लेकिन जीवन्धर के हाथ से पाहार लेते ही उसकी व्याधि दूर हो गयी । इससे वह मुनि जीवन्धर से बड़ा प्रभावित हुया और वहीं ठहर कर उसे छंद पुराण, नाटक, ज्योतिष प्रायुर्वेद मादि सभी विधाएँ सिखला दी। मुनि ने जीवघर को उसके माता-पिता के सम्बन्ध में वास्तविकता से परिचय कराया । अन्त मे बे मुनि वहां से अपने गुरु के पास प्राचित लेने के लिये पल दिये।
इसके पश्चात. जीवन्धर के पराक्रम की कहानी प्रारम्भ होती है। सर्व प्रथम उसने भीलों का उत्पात शान्त किया और उनसे गायों को छुडा कर राजा को वापिस