________________
म. वि ब्रह्म निमाल
सूरदास
महाकवि सूरदास भक्तियुग के महान् कवि थे । ये वल्लभाचार्य के समकालीन थे। इनका जन्म संवत् १५३५ वैशाख सुदी ५ को तथा मृत्यु संवत् १६३८ के लगभग हुई थी। बादशाह अकबर ने इनसे मथुरा में मेंट की थी । सूरदास के पद देश में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं और वे हजारों की संख्या में हैं। अब तक इनकी २४ रचनाओं की प्राप्ति हो चुकी है जिनमें से उल्लेखनीय रचनाएँ निम्न प्रकार है१. सूरसागर
२. भागवत भाषा ३. दशमस्कंध भाषा
४. सूरदास के पद ५. प्राणधारी
६. मंवर गीत ७. सूर रामायण
८, नागलीला ६. गोवर्धन लीला १०. सूर पच्चीसी ११. सूरसागर सार १२, सूरसारावली १३. साहित्य लहरी
१४. सूरशतक १५. दान लीला
१६. मानलीला मीराबाई
मीराबाई राजस्थानी महिला भक्त कवि थी। मीराराई के पद जन-जन को कण्ठस्थ है । "मीरा के प्रभु गिरधर नागर" पंक्तियों अत्यधिक लोकप्रिय हैं। मीराबाई का जन्म सचद १५५५ से १५७३ तक तथा मृत्यु सवद १६२० से १६३० के बीच हुई थी। बंगला भक्तमाला और सियाराम की हिन्दी भक्तमाला की टीकामों में सम्राट अकबर और तानसेन का भीरा के दर्शनों को आने का तथा मीराबाई का वृन्दाबन जाकर रूप गोस्वामी के दर्शन करने का उल्लेख है ।
उक्त कुछ प्रमुख कवियों के अतिरिक्त प्रासकरनदास, कल्लानदास, कान्हरदास, कृष्णदास, केशवभट्ट, गिरिधर, गोपीनाथ, चतुरबिहारी, तानसेन, सन्त तुकाराम, दामोदरदास, नागरीदास, नारायन भट्ट, माधवदास, रामदास, लालदास, विष्णुदास, मादि पचासों कवियों के नाम उल्लेखनीय हैं। इन कवियों ने हिन्दी में भक्तिरस की रचनाएँ निबद्ध कर देश में भक्तिरस की धारा प्रवाहित की थी और इसके माध्यम से सारे देश को भावात्मक एकता में निबद्ध किया था। यही नही देश में वर्गभेद, जातिभेद की भावना में भी परिवर्तन ला दिया का । जैन कवि
इन वर्षों में जन कवि भी पर्याप्त संख्या में हुए और वे भी देश में व्याप्त भक्ति धारा से प्रडूते नहीं रह सके। जमकी कृतियां भी भक्तिरस में प्राप्लावित