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पूर्व पोठिका तुलसीदास
महाकवि तुलसीदास देश के जनकवि थे। राम कान्य के सबवे बड़े प्रणेता महाकवि तुलसीदास ही माने जाते हैं । ब्रजभाषा एवं अवधि दोनों ही भाषानों में इन्होंने समान रूप से लिखा है । इनकी जन्म तिथि के सम्बन्ध में अत्यधिक मतभेद है लेकिन डा० माताप्रसाद गुस्त ने इनका जन्म सम्बत् १५८६ भादवा शुक्ला ११ माना है। इनकी मृत्यु तिथि सम्बत् १६८० मानी जाती है । महाकवि ने अपनी केवल तीन रचनात्रों में रचना संवत् दिया है वह निम्न प्रकार हैरामचरितमानस
वि० सं० १६३१ पार्वतीमंगल कवितावली
॥ १६८ के पूर्व तुलसीदास की उक्त रचनाओं के अतिरिक्त रामगीतावली, सतसई, जानकी मंगल, कृष्णगीतावनी, दोहावली आदि ११ रचनाएँ और हैं । महाकवि ने अपने पापको जिस प्रकार रामभक्ति में समर्पित कर दिया था वह जगत प्रसिद्ध है। रामचरितमानम उनका सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ है जिसका प्रत्येक शब्द भक्तिरस से प्रोतप्रोत है। नन्ददास
नमा प्र णिों में से मल कवि माने जाते हैं । ये रामपुर ग्राम के निवासी थे। इन्हें महाकवि तुलसीदास का भाई बताया जाता है । डा. दीनदयाल गुप्त नन्ददास का जन्म संवत् १५६० के लगभग एवं मृत्यु संवत् १६४३ के लगभग मानते हैं। इनकी २६ रचनाएँ बतायी जाती है जिनमें रास पंचाध्यायी, रूपमंजरी, विरहमंजरी. रसमंजरी, सुदामाचरित, रुक्मणी मंगल, मंवर गीत, दानलीला आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्त नन्ददास के स्फुट पद भी प्राप्त है। परमानन्ददास
वे भी प्रष्टछाप के एक कवि थे । डा. दीनदयाल गुप्त के अनुसार ये जाति से कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे तथा इनका जन्म कन्नौज में हुआ था । इनकी जन्म तिथि संवत् १५५० तथा मृत्यु तिथि संवत् १६४. मानी जाती है। इनकी दो कृतियाँ दानलीला एवं धन परित्र तथा बहुत से पद मिलते हैं।"
६. तुलसीदास, पृष्ठ १०६-११ .. मिश्र बन्धु विनोद पृष्ठ २३४