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________________ I भविष्यदत्त चौपर्छ द्वादस वर्ष भोग में गया, मात पितान की सुधि न लहया । अब हमनं इव दीजे दान. ले चालहू हमणापुर थान ।। ३२४ ।। बंधुदत सुणि भाई बात, हरषो चित विकास्यो गात । स्वामी ही सेवग तुम तण, भगति बंदना करिस्थों घणो ।। ३२५ || भविष्यदत एवं भविष्यानुरूपा का जहाज में चढ़ना भवसत को दूर्व लीयो, सहु संमदाउ पोल मैं सामर तीर प्रहण खडौ, भवसदंत तिया सायिहि चढौ भवदत्तस्य भासै तिया, बस्त दोह धीसरि भाइया | नागसेज्जा काममूंदडी, रही दाख मंडप तुलि पड़ी ।। ३२७|| भविष्यदत्त का पुनः द्वीप में जाना दीयो । ।। ३२६ ॥ ब्रेगि जानु ले मावो कंत, जहि विण क्षण एक रहे न चित । मान्यो बचन तिय। जे कह्यो, भगसवंत तहां उत्तरि गयो || ३२८ || बन्धुवत्त द्वारा पुनः विश्वासघात बंश्रुदत्त बहू कुड कुमाइ, संक्षण प्रोण दीयो चलाइ । पापी सोची माहीं बात, पूजा कीयो विश्वासघात || ३२६ ।। सज्या नागसूदडी लीयो, भक्सदंत तहि थानकि गयो । विठि न पडे तहां प्रोहण यांन, भयो कुमारि मन मांहि गुमान ॥३३० ।। हो विधिना प्रति श्रचिरज भयो, प्रोहण थानक बीसरि गयो । सागर तीर फिरिउ तहि यान, दीसं नही पात सहिना ||३३१३। उनी चदि देखें निरताय प्रोहण चाले सागर मांहि । उच कर करि सबद कराइ, प्रोण चाल्या तीरजि माइ ||३३२ ॥ भविष्यदत्त का मूच्छित होना चित्त एक क्षण रहेन सरण नमि दीखे कोइ ܕ धीर, सूरछा भाइ पड़ी उरबीर । पढियो भूमि भरी जिम होइ ||३३३ ||
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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