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________________ महकवि ब्रह्म रायमल्ल सीतल बाइ सरीर लागीयो, गइ मूळ उछि जागियो । दाख बोलि को मंडप जाहा, च्याल्यो भवसदत्त गयो ताहा ।।३३४॥ देखि कवर तहां सूनो थान, मन मैं दुख कर असमान ! मोह जडिउ बोल बाउलो, माउ कामनी वेगी मिलौ ।।३३।। तहि थे चाली कमलश्री बाल, पसु जाति दी। दिकगल । हरण रोझ सूबर सांबरा, भैसा रीछ महिष अति बुरा ॥३३६।। स्याहस्यौ तणी विनों करि घणौ, कहै संदेसो काम म तणो । चाल्यौ बेगि नग्न भै गयो, तहां सूनो थानक देखियो ।। ३३७॥ करता भोग गावता गीत, ते थानक दीठा भभीत । कामिणि धन ते विधना दीयो, पाछ सुपनो सौ करि गयो ।।३३८)। सुमर सुख कामिणी तणा, तिमतिम दुख उपज प्रति घणा । फिरि फिर सबै नग्र देखियो, चंद्रप्रभ जिण मन्दिर गयो ।।३३६।। सोग सबै छाडिउ तहिवार, जिणबर चरणा की यो जुहार । गुणग्राम भास्या बहु भाइ, जिहि थे पाप कम हो जाइ ।। ३४०॥ वोहड़ा हियडा संबर घोयड़ी, दुख न करी प्रतीच । कर्म नचावै जिम नचे, तिम तिम नाचं जीव ॥३४।। सुख दुख जामण मरण प्रति, हि धानकि जो होइ। घड़ी महरत एक क्षण, राख सके नही कोइ ॥३४२।। चौपई भवसदत्त जिणवर के यान, भास कथा रूप भौसाण । कंत विजोग बहुत दुख कर, असुर धार नेत्रा थे झरं ॥३४३॥ बंधुदत्तस्यों बोल गालि, रे पापी फिरि मुग्व दिखालि । भाई ने बहु संकट धरै, अंसा कर्म नीष नवि करे ॥३४४।। भविष्यवत्त द्वारा चिन्तन कर विसासघात ज कोई, नरक तणा दुख मुजे सोइ । पापी नै नबि आई दया, हरत परत तुझ तन्यो गया ।।३४५।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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