SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भौवष्यदत्त चौपई सकलप विकलप वाया कर, उद दम मन मैं किम संघर्ष । तब लग वेगि पोत पाइयो, बंधुदत्त उतरि देखियो ।।३०३।। सो अति मन मैं कर विचार, इह देवी इह नाग कुमार । चन मांई बन क्रीडा कर, दृष्ट जीव की संफ न धरै ।।३०४।। के नाराण लिखमी होड, अमो रूप न दीस कोई । इहि परतसि गौरज्या महेस, चंद्र सहित जिम सोभै सेस ।।३०५॥ बाण्या सहित बिनो बहू कीया, भवसदत्त का पग बंदिया। कमल श्री सुत जागी बात, इह तो बंधुदत्त को साथ ॥३०६।। मविष्यदत्त बंधुदत्त का मिलन ले' प्रालिंगन बारंबार, मिल्या भाइ हरप अपार । कुसलखेम वुझी सहु सार, जसो सजन को प्योहार ॥३०७।। हो स्वामी गति हीणो भयो, तु एकाकी बन मैं छाडियो ।। प्रेसी नबि कोई कर न वात, क्षिमा करो हम उपरि भ्रात ॥३०८।। पाई हौं पछितायो घणो, जाण्यो ध्रिग जनम प्रापणी । तुम विजोग उपनो बहु सोग, विष मम छोडिये पव ही भोग ।। ३०६।। राति दिवसि मुझ खीजत गयो विळती कोठी एक न लहयो । अंसा मन में उपनी बात, जे हौं चरि जास्यों कुसलात ।।३१० । मात पिता बुझौं करी मान, भवमदत्त छाडिउ कहि थान । मुझ ने उतर न पासी कोइ, अपन सहीस्योकालो होइ ।।३११ मेरो दुस्ट बस को हीयो, मैं एकाकी बन मैं वादियो। पुन्य घड़ी अब प्राइ भ्रात, जावत दुवै मिल्या कुसलान ।। ३१२॥ भ्रात वचन मुझ पागै भणी, जिम भाज संसो मन तणों। कोण नम ही छ बिसाल, कन्या रस्म लही सुकमाल ११३१३॥ १. क ग प्रति लीया नारेल ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy