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________________ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल भण अभिका सुदरि सुणो, कहो निथार (थ) सद्यो व्रत तणौ। कातिग फागुन सुभ प्रापार, सुदिपांचे उपवास सु पाठ ॥२५॥ चौधि ऊजाप्ती करं सनान, धोवति परि जाइ जिण थान । जिण चौवीस म्हायण करेइ, माउ द्रव्य सुभ पूजा लेइ ॥२५२।। देव सास्त्र गुरु पूर्ज पाइ, भगति बंदना करि घरि याइ । पाच पात्रां देई दान, मिष्ट मनोहर भोजन पान ॥२५३।। एक भगति सुभ कर आहार, पाछै सबही कर निवार | राति भूमि सुभ सज्या करे, नाम जिणेसुर मन मैं धरै ।। २५४१५ देव सास्त्र गुरु प्रान्या लेइ, श्रुतं पांच उपवास करे ।। हाइ पचमो को परभात, पुरुष खलासा की सुणि बात ॥२५५।। पोसौ सामाइक दिन गमै, प्रर्थ पुराण मध्य मन रमैं । सहि दिन बरी मित्र समानि, सौनों तिौं बराबरि जानि ।।२५६॥ करि जाग्रण गमै सुभ राति' करे सनान उदै परभति । जिणबर न्हायण पूजा विधि कर, पाछ प्राय घरि गम करें ।।२५७।। दे पात्र जोग माहार, ममाधान बात व्यौहार । पार्छ एक भगति पारणी, निर्मल मन राख्ने प्रापणों ।। २५०। सेत पंचमी को दिन मार, पंसठी' मास कर विस्तार । पूरै व्रत उद्यापन कर, महाभिषक पूजा विस्तर ॥२५॥ फल फूल ने बज चंदना, अगर कपूर मनोहर घणा । भामर कलस भेरि कसाल. चदयां तोरण घ्यजा विसाल ।।२६।। जिणवर भणि महोछा करं, घृत सास्त्र पूजा विस्तरै । देइ जतीने सास्त्र लिखाद, पाटू बंधन निमल भाइ ।।२६१।। १. क ग --गति । १. क पोसहि ख प्रति पोसदि ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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