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________________ भविष्यदत्त चौपाई ११६ गुर चरणा करि पूजा सार, चहु विधि संघ जोग आहार । जिथा जोगि वस्त्र सुभ दान, चोवा चंदन फोफल पान ॥२६२।। उद्यापन की सकति न होइ, दूणौ त कर सह कोह। जैसी सकति तसो विस्तार, अषध' सास्त्रप्रभ पाहार ॥२६३।। भाव मुघ अहि विधि व्रत कर, सो ना मुकति कामनी सुख लहै । पीड़ा दुख न व्यापं रोग, मिल पुत्र सहु जाइ विजोग ।।२६४।। सुणी बात प्रजिका तणी, उपनी अंगि सोलार घणी । नमस्कार करि बारम्बार, कीयो व्रत को अंगीकार ॥२६५।। फ्रा हान परित्र सार मरि जादा भीननी च्यारि ॥ दुखी पलिद्री देहु दान, व्रत पंचमी को बहु मान ।।२६६।। मापिका को साथ लेकर मुनि के पास जाना इहि विधि काल गमै सुदार, पुत्र तणी बहू' चिंता भणी ॥ एक दिन ले अखिका साथि, गइ जिणाल जाहा जगनाथ ।।२६७।। जिणबर बिब बंद्या बहु भाइ, अजिका सहित मुनिवर में जाइ । करी बंदना मस्तकि हाथि, विनती एक सुणौ मुनिनाथ ।।२६८।। कमलश्री सुत दीपां गयो, तहिको बहुष्टि न सोधौ लहयो । पुत्र विजोग बहुत अकुलाह, रात्रि दिवस मन रहे न ठाइ ॥२६६।। स्वामी तुम्है अवधि का जाण, बचन तुम्हारा महा प्रमाण । भवस दत्त छ कोणी थानि, हानि वृद्धि तसु करौ नखाण ।।२७०।। मुनि का वचन मुनिवर भणे अवधि के भाइ, सुणी बात मन राखौ ठाइ । मदन दीप पहृतो कुसलात, पट तिलक महा विख्यात ||२७१।। १. उखद ख प्रति । २. क ज प्रति श्री हीनि बुद्धि ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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