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चंपो जुही पाडल जाह जास सुगंध भमर ले बास
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महाकवि ब्रह्म रायमल्ल
बीलश्री
करणी मही काइ ।
जिजपद श्रार्गे पोप सुबास ।। १५४ ।।
नालिकेर का कान्छाकुर
मिश्री दाख बिदाम खिजुरी ।
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सोवन भाल हाथि करि लोयो जिणपत्र श्रागे नेवज दीयो ॥। १५५००
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श्रीमणि कपूर सुबास भई आरती बहुत उजास I रत्न खित्रित प्रारती लीयो जिण चरण या फेरियो ।। १५६१
अगर महा किसनागर सार चंदन सुभ बावनी तुषार । रहन धोपाईनी भरि खेईयो, जिण चरण श्रागं फेरियो ।। १५७
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नालिकेरि पुंगी दाडिमी मासूलिंग नीबू नारिंगी I नेणा देख्न विगास प्रपार जिन चरण आगे विसतार || १५८ ॥
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चल चंदन अक्षत सुभमाल, नेवज दीप धूप विसाल उपरि नालिकेर मेल्हिया, जिन चरण मा फेरिया ।।१५६ ।।
प्रचुतेन्द्र द्वारा प्रश्न
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भवसंदल करि पुजा भली पूगी सब ही मन की रली । दीठ मंडप उतिम अंम सूत तहाँ लियौ विश्राम ।। १६० ।।
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पंथ श्रम बहू निद्रा भई, सुणडु कथा जे श्रा भई । पूर्व विदेह स् सांभामली जसोधर तिष्टं केवली ।। १६१ ।।
केवली भगवान द्वारा उतर
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सुरनर फणि तमु आया सेव नमस्कार कर बैठा एव । अच्यत इंद्र तहि जोइया हाथ प्रसन एक दुर्भ जिननाथ ।।१६२ ॥
पहलौ धमिश्र (मिश्र) मुझ त
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रहे कहा सोयाक भणौ । केवली भद्र सुणि बात तहिको कही सर्व विरतांत ।। १६३ ।।
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क्षेत्र भरथ कुर जंगल देस
धनपति सेठ तणी तहा बास
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हस्तनागपुर बसें असेस 1
भवसदस नंदन स् तास ।। १६४ ।।