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________________ महाकवि की काव्य रचना के प्रमुख नगर १३३ हैं जिनकी प्रतिलिपि इसी नगर में हुई थी और उनके आधार पर इसे जैन साहित्य एवं संस्कृति का केन्द्र माना जा सकता है। सबसे अधिक प्रतिलिपियाँ १५ वीं शताब्दी से १८ वीं शताब्दी तक की मिलती है। संवत् १४६७ में वहीं प्रवचनगार की प्रति की गयी थी। संवत् १६१र में राव श्रीरामचन्द्र के सासन काल में पुष्पदन्त कृत कुमार चौर' को प्रशस्ति की थी धी, इसी तरह संवत् १६६४ में जन्न यहाँ राव जगन्नाथ का शासन था, प्रादिपुराण (पुष्पदन्त कृत) को पाण्डुलिपि तैयार की गयी थी। ' संवत् १६३६ में हिन्दी के प्रसिद्ध कवि ब्रह्म रायमल का मागमन हुमा पोर उन्होंने अपनी आध्यात्मिक कृति परमहंस चौपई की रचना समाप्त की। १८ वीं शताब्दी में यहां संस्कृति के दो उच्चकोटि के विद्वान् हुये । इनमें प्रथम विद्वान् पेमराज श्रेष्ठी के पुत्र वादिराज थे जिन्होंने इसी नगर में संवत १७२९ में वाग्भट्टालंकारावचूरि-कवि चन्द्रिका की रचना की थी। कवि वहाँ के राजा राजसिंह के मन्त्री थे जो भीमसिंह के पुत्र थे। बाधिराज के ही माई जगताप थे। ये भी संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान् थे। जगन्नाथ भट्टारक नरेन्द्रकीति के प्रिय शिष्य थे और उनके समय में टोडरायसिंह में संस्कृत ग्रन्थों का अच्छा पठन पाठन था । यहाँ का प्रसिद्ध प्राधिनाथ दि. जैन मन्दिर संवत् १५६५ में मंडलाचार्य धर्मचन्द्र के उपदेश से स्त्रण्डेलवाल जाति के श्रापकों ने निर्माण कराया था। उस समय नगर पर महाराजाधिराज सूर्य सेन के पुत्र सौदी सेन तथा उनके पुत्र पृथ्वीराज पूरणमल का शासन था। इसी मन्दिर में आदिनाथ की जो मूलनायक प्रनिमा है उसकी प्रतिष्ठा संवत् १५१६ में हुई थी। इस मन्दिर में संवत् ११३७ की प्राचीनतम १. वही, पृष्ट ६ २. सोलामै छत्तीस बखान, ज्येष्ठ मावली तेरस जान । सोभैबार सनीमरवार, ग्रह नक्षत्र योग शुभसार ।। ६४४ ॥ देस भाबो तिह नागरवाल, तक्षिकग अति बन्यो विसाल । सोभ बाडी नाग सुचंग, कूप बावड़ी निरमरन अंग ।। ६४१ ।। ३. श्री राजसिंह नपति जयसिंह एवं श्रोतक्षकाख्य नगरी अहिल्लतल्पा । श्री बादिराज विशुधो ऊपर वादिराज, श्री सूत्रवृत्तिरिह नंदतु शार्कचन्द्रः । ४. आदिनाथ के मन्दिर में बंदी के पीछे की अंकित शिलालेख | ५. नादिनाथ के मन्दिर में तिवारे में दायी योर वेदी का लेख ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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