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११. महाकवि घानतराय १२. भगवतीदास एवं भातकवि १३. करि गुणालचन्द माना जातो १४. कविवर किशनसिंह, नथमल विलाला एवं पाण्डे लालचन्द १५. कविवर बुधजन एवं उनके समकालीन कवि १६. कविवर नेमिचन्द एवं षंकीति १७, मैया भगवतीदास एवं उनके समकालीन कवि १८. कविवर दौलतराम एवं छत्तदास १६. मनराम, मनासाह एवं लोहट २०. २० वीं शताब्दि के जैन कवि
२० भागों में उक्त कषियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का सम्यक् अध्ययन प्रस्तुत किया जावेगा । इसके अतिरिक्त प्रत्येक कवि की मूल कृतियों के पाठ भी उन में रहेंगे। ऐसे कवियों एवं साहित्य निर्माताओं की संख्या कम से कम ५० होगी।
___ महाबीर ग्रन्थ अकादमी की प्रथम पंचवर्षीय योजना करीब २ लाख रुपये की अनुमानित की गयी है जिसके अन्तर्गत २० माग प्रकाशित किये जायेंगे। प्रत्येक भाग २५० से ३०० पृष्ठ का होगा। इस प्रकार मकादमी ५-६ हजार पृष्ठों का साहित्य प्रथम पांच वर्षों में अपने पाठकों को उपलब्ध करायेगी। इस योजना की क्रियान्विति के लिये संचालन समिति के ५१ सदस्य जिनमें संरक्षक, अध्यक्ष, कार्याध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं निदेशक सम्मिलित हैं, होगे तथा कम से कम ५०० विशिष्ट सदस्य बनाये जायेंगे । विशिष्ट सदस्यों से २०१) रु. तथा संचालन समिति के सदस्यों से (पदाधिकारियों के अतिरिक्त) कम से कम ५०१) रु० लिये जावेगे। मुझे यह लिखते हुये बड़ी प्रसन्नता होती है कि समाज में साहित्य प्रकाशन की इस योजना का स्वागत हुमा है तथा अब तक संचालन समिति की सदस्यता के लिये एवं विशिष्ट सदस्यता के लिये १०० से अधिक महानुभावो की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इस प्रकार प्रकादमी का कार्य चल पड़ा है। अकादमी की संरक्षकता के लिये मैंने श्रावक शिरोमणि स्व० साहु शान्तिप्रसाद जी जन से अकादमी की योजना भेजते हुये जब निवेदन किया तो वे योजना से अत्यधिक प्रभावित हुये और एक सप्ताह में ही उन्होंने अपनी स्वीकृति भेज दी । मुझं बड़ा खेद है कि उसके कुछ महीने पश्चात् ही