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इन कचियों के काव्यों के सूक्ष्म अध्ययन के साथ-साथ उनकी प्रमुख कृतियो भी प्रकाशित की जायेंगी । अकादमी के प्रथम भाग में महाकवि ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकोति को लिया गया है । दोनों ही कवि विक्रम की १७वीं शताग्दि के प्रथम चरण के कवि है और जिनका साहित्यिक योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है ।
अकादमी द्वारा पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत निम्न प्रकार पुस्तकों के प्रकाशन की संख्या रहेगी।
९ पुसमा १६७६
१९५१ १९५२
इस योजना के अन्तर्गत जिन कवियों पर प्रकाशन कार्य होगा उनके नाम निम्न प्रकार है :
१. महाकवि ब्रह्म रायमल्ल एवं मट्टारक त्रिभुवनकोति २. कविवर बुचराज एवं उनके समकालीन कवि ३. महाकवि ब्रह्म हिनदास एवं प्रतापकीर्ति ४. महाकवि वीरचन्द एवं माहिचन्द ५. विद्याभूषण, मानसागर एवं जिनदास पाण्डे । ६. ब्रह्म यशोषर एवं भट्टारक शानभूषण ७. भट्टारक रलकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र ८. कविवर रूपचन्द, जगजीवन एवं ब्रह्म कपूरबन्द १. महाकवि भूधरदास एवं बुलाकीदास १०. जोधराज गोदीका एवं हेमराज