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________________ १०६ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल १–चा जिसौ तिसौ लुणे श्रीपाल रास २–काग गलं किम सोभै हार ३.-गयो कोढ जिम महि केंचुली ४–मुबा साथि नवि मुवो कोइ ५–जीवत मांखी को मल ६–आयो हो नाम न पूजे हो भाई बाहरि बाबी जी पूजण जाई मधुम्नरास ॥१८॥ ७-छोहिल को रालि करि करं पेट की प्रास | नेमीश्वररास ।१२२॥ --पुष्य पाए तस जैसा बर्व, तहि का तैसा फल भोगवं ।। भविष्यदत्त ११३॥२३॥ ९-सुम अरु असुभ उपायो होड. तहि का तैसा फल नर मुंजे सोइ । १०–जैसा कर्म उद हो पाइ, तेसो तहाँ बंधि ले जाई । ४०॥२६ ११-पाप पुण्य ते साथिहि फिर ४२।२६ १२ हो सो सही बुरा को बुरो १३–पोते पुण्य होइ अब घणो, होइ सफल कारिज इह तणों ।। हनुमंत कथा १४दास वेलि पर प्रांब चढ़ी, एक सिंघ पर पाखर पडी।। . ६६७५ १५-सुख दुख पर जामण मरण जिही थानकि लिख्यो होई । घडी महूरत एक खिण राखि न सक्फ कोह ।। , १४१८७ १६-जा दिन प्राय प्रापदा ता दिन मीत न कोई । माता पिता कुटुंब सहु ते फिरि बरी होइ ।। ॥ २६॥८६ १७–अंसो कर्म न कीजे कोइ, बंध पाप प्रधिको दुख होइ।। जिणवर धर्म जो निद्या करं, संसार चतुर्गति तेई फिरै ।।, ५४६३ १८-जप तप संयम पाठ सहु पूजा विधि त्यौहार । जीव दया विष सह प्रफल, ज्यो दुरजन उपगार ।। नेमीश्वररास ॥६॥ १९—कामणी चरित ते गिण्या न जाइ ||८|| २०-जैनी की दीक्षा खांडा की धार ॥११६।। ,
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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