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________________ अलौकिक शक्ति वर्णन १०७ प्रद्युम्न को सोलह गुफानों से जो अनेक विधा प्राप्त हुई थी अहा रायमल्ल उनका निम्न प्रकार वर्णन किया है हो कामदेव के पुन्य प्रभाए, हो बितर देव मिल्या सक्षु प्राए । करी मरण का वंदना जी, हो दीन्हा जी विद्या सणा भंडारी । छन सिंहासण पालिका जो, हो सथो धनष खडग हथियारों ।।१०।५८|| हो रहन सुवर्ण कीया बहुभाए, हो कर बीनती प्राग पाए । हम सेवक तुम रामई नी, हौ सोलह गुफा भले पायो । बितर देव संतोषिया जी, हो कंधण माला के मनि भायौ ।।११।। छन्द ब्रह्म रायमल्ल ने अपने काव्यों में सीमित किन्तु लोकप्रिय छन्दों का ही प्रयोग किया है। ये छन्द ६२., चौपई, शरबन्ध एवं ना! . रासायों में तथा प्रमुखतः श्रीपाल रास , प्रद्युम्नरास, नमीश्वररास में इन्हीं छन्द का प्रयोग हुया है । मेमिश्वर रास में स्वयं ब्रह्म रायमल्ल ने कहवाहा छन्द के प्रयोग किये जाने का उल्लेख किया है भष्यो जो रासो सियदेवी का बालको । कडवाहा एक सौ प्रधिक पताल । भावजी भेव जुरा-जुदा छंद नाम इट्ट सम्ब शुभ वर्ण । कर जो कणियरा कहै भष भव धर्म जिनेसुर सम् ।।१४५।। भविष्यदत्त चौपई में चौपई छन्द का प्रयोग हुआ है । केवल नाम मात्र के लिये कुछ वस्तु बंध छन्द भी पाया है । इसी तरह हनुमन्त कथा में भी चौपई छन्द की ही प्रमुखता है । दूहा एवं वस्तुबंध छन्द का बहुत ही कम प्रयोग हो सका है। परमहंस चौपई में भी केबल चौपई छन्द में पूरा काव्य निबद्ध किया गया है । सुभाषित एवं लोकोक्तियां ब्रह्म रायमल्ल ने अपने समय में प्रचलित लोकोक्तियों एवं सुभापितों का अच्छा प्रयोग किया है। इनके प्रयोग से काव्यों में सजीवता मायी है । यही नहीं तत्कालीन समाज एवं श्राचार व्यवहार का भी पता चलता है। यहां कुछ सुभाषितों एवं लोकोक्तियों को प्रस्तुत किया जा रहा है
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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