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________________ {૦૪ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल श्र शाही ठाण | ठो ठो यह कथा पुराण, ठाम ठाम ठाम ठाम दीने बहु, दान देव सास्त्र गुर राखे मारा ॥ २१ ॥ धार्मिक तत्व जैन काव्यो का प्रमुख उद्देश्य जीवन निर्माण का रहा है। जीवन का अन्तिम लक्ष्य निर्वाण प्राप्त करना है इसलिये निर्वाण प्राप्ति में जो साधन है उनका भी वर्णन रहना इन काव्यों की एक विशेषता रही है। जब तक मानव धार्मिक एवं सैद्धान्तिक दृष्टि से समुन्नत नहीं होगा तब तक वह दिशा विहीन होकर इधर उधर भटकता रहेगा। यही कारण है कि अधिकांश जैन विद्वानों ने अपनी अपनी कृतियों में फिर चाहे वह किसी भी भाषा में निबद्ध क्यों न हो, जैन सिद्धान्त का वर्णन किया है मौर नायक नायिका के जीवन में उन्हें पूर्ण रूप से उतारने का प्रयास किया हैं । ब्रह्म 'रायमल्ल ने अपने काव्यों में संक्षिप्त अथवा विस्तार से जैन सिद्धान्तों का वर्णन किया है । श्रीपाल रास में जैन सिद्धान्त का विस्तृत वर्णन न करने पर भी श्रीपाल द्वारा मुनि दीक्षा लेने तथा घोर तपस्या करने का वर्णन मिलता है।" इसी तरह प्रद्युम्नरास में भी भगवान नेमिनाथ द्वारा केवल्य प्राप्ति का वर्णन करके द्वारिका दहन की भविष्यवाणी का उल्लेख किया गया है । २ भविष्यदत्त कथा में चारों गतियों (देव, नारको, मनुष्य और तिर्यक्च ) पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है । काव्य में इस वर्णन को धर्म कथा के नाम से उल्लेख किया गया है । इसी काव्य में भागे 'चल कर श्रावक धर्म का वर्णन किया गया है। जिसमें सप्त तत्त्व, नवपदार्थ, षद्रव्य, पंचास्तिकाय पर सम्यक् श्रद्धा होना, ग्यारह प्रतिमा, बारह व्रत, अणुव्रत, पंच समिति तीन गुप्ति, षट् ग्रावश्यक, अठाईस मूलगुण आदि की विस्तृत चर्चा की गयी है । धर्मोपदेश सुनने के पश्चात् सिद्धान्तों के वर्णन करने का प्रमुख उद्देश्य नायक के जीवन में वैराग्य उत्पन्न करना है। भविष्यदत्त चौपाई में भविष्यदत्त निम्न प्रकार विचार करने लगा -- I हो सिरिपालमुनि तप करि घोर तोड़े कर्म धातिया बोर | हो जिणवर बोलें केवलवाणी, हो बरस बार है परलो जणी । अग्नि दालिसी द्वारिका जी, हो दीपांइण व लागे आगे । नग्री लोग न ऊबरै जी, हो हलधर किस्न छूटि सो भाजे ||८|| धर्म कथा स्वामी विस्तरी, मुनिवर की बहु कीरत करी ||३१|| ५८ ||
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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