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________________ सामाजिक स्थिति १०३ बैराठ एवं सांगानेर एवं टोडारायसिंह तथा उत्तर प्रदेश में आगरा इसके प्रमुख केन्द्र ये । समयसार एवं प्रवचन सार जैसे ग्रन्थों के स्वाध्याय की और लोगों की रूचि उत्पन्न हो रही थी । बैराठ में पं० राजमल्ल ने समयसार पर टीका लिखने के पश्चात् ब्रह्म रायमल्ल ने परमहंस चौपाई की रचना आध्यात्मिक भावना की प्रचार प्रसार की दृष्टि से की थी । I भट्टारकों के प्रोत्साहन के कारण राजस्थान में प्रतिवर्ष कहीं न कहीं विम्ब प्रतिष्ठा समारोहों का आयोजन होता रहता था। संवत् १६०१ से १६४० तवः राजतीस से हुई। इन समारोहों के दो लाभ थे । एक तो समूची समाज के कार्यकर्ता भों, विद्वानों, साधु सन्तों एवं श्रावक-श्रावि कार्यों का परम्पर मिलना हो जाता था । एवं तव मन्दिरों का निर्माण कराया जाता था । यह इस बात का संकेत है कि आम जनता में ऐसे समारोहों के प्रति कितनी रूचि एवं श्रद्धा थी। समाज में प्रतिष्ठा कराने वालों का विशेष सम्मान होता था। इसके अतिरिक्त ग्रन्थों की प्रतिलिपि कराने की श्रावकों में अच्छी लगन थी । संवत् १६०१ से १६४० तक के लिये हुये सैकड़ों ग्रन्थ राजस्थान के प्रत्य भण्डारों में ग्राम भी संग्रहीत हैं। ग्रन्थों की स्वाध्याय करने वालों, प्रतिलिपि कराने वालों अथवा स्वयं करने वालों की बन्थों के अन्त में प्रशंसा की जाती थी ।' प्रमुख जनजातियां . ब्रह्म रायमल्ल के समय में ढूंढाड़ प्रदेश में खण्डेलवाल एवं प्रग्रवाल जैन जातियों की प्रमुखता थी । सांगानेर, रणथम्भौर सांभर, टोडायसिंह धौलपुर जैसे नगर इन्हीं जाति विशेष जैन समाज से परिपूर्ण थे लेकिन देहली, रणथम्भौर, सांभर जैसे नगर खण्डेलवाल जैन समाज के लिये एवं देहली एवं भूतु प्रवाल जैन समाज के केन्द्र थे। स्वयं कवि ने न तो अपनी जाति के बारे में कुछ लिया और न किसी जाति विशेष की प्रशंसा हो की । हनुमंत कथा में कवि ने श्रावकों के सम्बन्ध में जो वर्णन दिया है वह तत्कालीन समाज का द्योतक है श्रावक लोक बसे धनवंत, पूजा करे जयं अरिहंत । उपरा ऊपरी वयं न कास, जिम अमरेंदु स्वर्ग सुखवास । १. लिहइ लिहावई, पढ पढाव | जो मणि भाव, सो णरूपावर | बहुणिय पश्य, सासय सेपय ॥
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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