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________________ राजनैतिक स्थिति कवि ने अपनी कृतियों में जिन-जिन शासकों का नामोल्लेख किया है वे हैं सम्राट अकबर, राजा भगवन्तदास एवं राजा जगन्नाथ । सम्राट अकबर देश के मध्यकालीन इतिहास में सम्राट अकबर का नाम विशेषल : उल्लेखनीय है। वह एक शक्तिशाली एवं दृढ़ विस्तारवादी शासक था । उसने उदार नीति अपना कर हिन्दु काय जीवोगा प्रतिमा। शोर सोपूर्ण माता भी मिली। बह सभी धर्मों का प्रादर करता था इसलिये उसने हिन्दुओं पर लगने वाला तीर्थपात्री कर एवं जजिया कर समाप्त करने की घोषणा करके देश में लोकप्रियता प्राप्त की। वह समय-समय धामिक सन्तों की विचार गोष्ठियां सामन्त्रित करता था और उनके प्रवचन सुनता था। जंनाचार्य हीरविजयसूरि, विजयसेनसूरि, भानुचन्द्र उपाध्याय भ० जिनचन्द्र एव तत्कालीन अन्य भट्टारकों ने अकबर को जन धर्म के सिद्धान्तों की मोर प्राषित किया। जैनाचार्यों के प्रमाव से उसने पिंजब्जे में बन्द पक्षियों को मुक्त कर दिया एवं शिकार खेलने पर पाबन्दी लगादी तथा स्वयं ने मांस खाना भी बन्द कर दिया।' महाकषि बनारसीदास सो मकबर से इतने प्रभावित पे कि जब उन्होंने अकबर की मृत्यु के समाचार सुने तो वे एक दम बेहोश हो गये । २ अझ रायमल्ल ने श्रीपाल रास में संवत् १६३० (सन् १५७३) के सम्राट अकबर के शासन का सल्लेख करके रणथम्भौर की मुख शान्ति का वर्णन किया है । पाण्डे जिनदास ने भी अपने जम्बूस्वामी चरित में अनबर के मुशासन का उल्लेख किया है।४ राजा भगवन्तवास राजा भगवन्तदास मामेर के संवत् १६३१ से १६४६ तक शासक रहे। ये अकबर बादशाह के विश्वास एवं कृपापात्र शासकों में से थे । राजा भगवन्तधास संवत् १६३६ से १६४६ तक पंजाब के गवर्नर रहे और लाहौर में ही उनकी मृत्यू हो गयी । इनके १५ वर्ष के शासनकाल में तूंढाड प्रदेश में जन साहित्य एव जैन संस्कृति को शासन की ओर से प्रत्यधिक प्रश्रय मिला। उस समय प्रदेश में भट्टारकों का पूर्ण प्रभाव था । पम्पावती (चाटसू) में संवत् १६३२ में जब नरसेन कृन श्रीपालचरित की - -- -- १. अकबर महान, पृष्ठ संख्या २०० २. अर्ध कथानक ३. श्रीपाल रास-अन्तिम प्रशस्ति ४. प्रशस्ति संग्रह-सम्पादक डॉ. कासलीवाल, पृष्ठ संख्या २१३ "
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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