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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन संत स्त्री को काली नागिन मानते हैं। जो तीनों लोकों के विषयियों को खा जाती है. - कामिनी काली नागिनी, तीनि लोक मझारी । राम सनेही ऊबरै, विषई खाए झारि ॥ 1 नारी भक्ति, मुक्ति और ज्ञान- तीनों को नष्ट कर देती है 2 नारि नसावै तीन गुन, जो जन पास होई । भगत मुकति निज ज्ञान में, पैसि न सकई कोई ॥ स्त्री अपनी हो या दूसरे की, उसका भोग करने वाला सीधे नरक जाता है नारी पराई आपनी, भुगतें नरकहिं जाई । 3 आगि आगि सब एक है तामैं हाथ न बाहि ॥ कामिनी के अंगों से विरक्ति ईश्वर में अनुरक्ति के लिए अति आवश्यक हैं कामिनि अंग अरत भए रत भए हरि नांऊं । साथी गोरखनाथ ज्यों, अमर भए कलि माहिं ॥ 4 स्त्री जगत की जूठन है। वह अच्छे बुरे का अन्तर स्पष्ट करती है- जो लोग उससे पृथक् रहते हैं, वे उत्तम हैं और जो उसके साथ क्रीड़ा करते हैं, वे निम्न हैं जोरू जूठनि जगत की, भले बुरे का बीच। उत्तिम ते अलगा रहै, मिलि खेलें ते नीच ।। S हरि अन्य अपराधों को क्षमा भी कर देते हैं, परन्तु कामी के लिए उनके पास कोई स्थान नहीं - अंधा नर चेते नहीं, कटै न संसे मूल । और गुनह हरि बकस है, कामी डाल न मूल । " 31 सन्तों के अनुसार काम प्रत्यक्ष काल है, अपार शक्ति वाला योद्धा है। और जब यह शरीर में उमगता है, तो ज्ञानियों को भी चंचल बना देता है - काम नहीं यह काल है, काम अपर्बल वीर । जब उमगत है देह में, ज्ञान्दिन 1. कबीर ग्रन्थावली तिवारी पृष्ठ 232 साखी 12 3. वही पृष्ठ 233 5. वही पृष्ठ 234 साखी 20 7. पंचग्रन्थी पृष्ठ 298 करत अधीर ।। 7 2. वही साखी 7 : 4. वही पृष्ठ 158 41 6. वही पृष्ठ 233 23
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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