SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 473
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 440 महाकवि भूधरदास : भूधरदास का योगदान ऐतिहासिक दृष्टि से भूधरदास का काल औरंगजेब, जहाँदरशाह, फरुखशियार एवं मुहम्मदशाह का शासन काल रहा है। कवि ने इस समय जिन राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं साहित्यिक परिस्थितियों में रहकर साहित्यरचना की, वे परिस्थितियाँ अति विचित्र थीं। उनका विस्तृत विवेचन पूर्व में ' किया ही है। पूर्ववर्णित सभी परिस्थितियों के सन्दर्भ में कवि भूधरदास का हृदय सांसारिक जीवन और व्यवस्था के प्रति अनासक्त हो गया और वह पूर्णत: नैतिक व धार्मिक बन गया। उसने तत्कालीन विलासिता के विरुद्ध इन्द्रियों को जीतने की प्रेरणा दी। धर्म के नाम पर होने वाले बाह्याडम्बरों के विरुद्ध मन, वचन, कर्म में सामन्जस्य एवं मन की पवित्रता पर बल दिया। साथ ही संसार, शरीर एवं भोगों की अनित्यता, अशरणता, दुःखरूपता आदि के द्वारा भौतिक सुख-समृद्धि, मान-प्रतिष्ठा आदि को असार बतलाते हुए मोक्ष प्राप्ति हेतु प्रेरणा प्रदान की तथा रीतिकालीन परिवेश से पूर्णत: अप्रभाविक रहते हुए धार्मिक एवं नैतिक साहित्य की रचना करके समाज का उचित मार्गदर्शन किया। भूधरदास ने सांसारिक मोह-माया एवं इन्द्रिय-विषयों से अपने मन को हटाकर देव-शास्त्र-गुरु एवं शुद्धात्मतत्व में लगाने तथा सम्पूर्ण विश्व को कल्याण के पथ पर अग्रसित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु अनेक दार्शनिक, धार्मिक एवं नैतिक विचारों का प्रतिपादन किया। मानव जीवन को समता, सहिष्णुता, विश्वबन्धुता आदि की ओर प्रेरित करने के लिए व्यक्तिगत जीवन में सत्य दया, क्षमा, प्रेम आदि को अपनाने का महत्व प्रतिपादित किया। आत्मशुद्धि के लिए काम-क्रोध, मद-मोह, लोभ आदि विकारी भावों को त्यागने का उपदेश दिया। तत्कालीन सामाजिक जीवन में व्याप्त मद्यपान, चोरी, जआ. आखेट, वेश्यासेवन, परस्त्रीगमन, मांसभक्षण आदि सभी दुष्प्रवृत्तियों के दोघ बतलाकर उनकी कटु आलोचना की एवं उन्हें छोड़ने की प्रेरणा दी। कवि ने जैन सिद्धान्तों द्वारा संसार बंधन से छुटकारा दिलाकर मोक्षमार्ग को प्रशस्त किया 1, प्रस्तुत शोध प्रबन्ध अध्याय 2
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy