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________________ 392 महाकवि भूधरदास : 1.दर्शन प्रतिमा : प्राथमिक भूमिका वाला पाक्षिक श्रावक जिन आठ मूलगुणों को पालन करता है अर्थात् पंच उदुम्बर फल तथा तीन मकार (मद्य, मांस, मधु) का त्याग करता है, सप्त व्यसन का त्याग करता है, दर्शन प्रतिमा धारण करने वाला भी उन्हीं का त्याग करता है; परन्तु उसके त्यागरूप व्रत में वह कोई अतिचार (दोष) नहीं लगाता है । उसके श्रद्धान में दृढ़ता और नियमों में कठोरता आ जाती है। भूधरदास ने दर्शन प्रतिमा का कथन इस प्रकार किया है - पंच उदंबर तीन मकार । सात व्यसन इनको परिहार ॥ दर्शन होय प्रतिज्ञायुक्त । सो दर्शन-प्रतिमा जिनउक्त ।। पाँच उदुम्बर फलों के दोष एवं उनके त्याग का उपदेश :--- बड़, पीपल, उमर, कठूमर (गूलर) और पाकर - इन पाँच जाति के फलों को पाँच हजार एल कहते हैं। पंज गुजर पलों में अनेक उस जीवों की उत्पत्ति होती है अर्थात् इनमें साक्षात् त्रस जीव पाये जाते हैं। इनके भक्षण से महतो हिंसा होती है; इसलिए इनका त्याग अवश्य करना चाहिये । “पीपल, गूलर, पिलखन, वट और काक उदुम्बरी के हरे फलों को जो खाता है, वह त्रस अर्थात् चलते फिरते हुए जन्तुओं का घात करता है; क्योंकि उन फलों के अन्दर ऐसे जन्तु पाये जाते हैं और जो उन्हें सुखाकर खाता है, वह उनमें अति आसक्ति होने के कारण अपनी आत्मा का घात करता है। " मद्य, मांस और मधु - इनके आदि में “म” है; इसलिए इन्हें "मकार" तथा संख्या तीन होने से "तीन मकार" कहते हैं। भूधरदास ने मद्य, मांस, मधु के दोष बतलाकर उनके त्याग का उपदेश दिया है। मद्य के दोष एवं उसके त्याग का उपदेश :-- मदिरा जीव समूहों का ढेर है, वह दुर्गन्धयुक्त वस्तुओं को सड़ाकर, गलाकर तैयार की जाती है। निश्चय ही उसके स्पर्श करने मात्र से व्यक्ति की । 1, पार्यपुराण, कलकत्ता, भूधरदास, अधिकार 9 पृष्ठ 86 2. बालबोध पाठमाला भाग 3, पाठ तीसरा- डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, पृष्ठ 15 3. जैनधर्म,पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री.पृष्ठ 199- 200
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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