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________________ महाकवि भूषरदास : है; परन्तु फिर भी मुनिराज दूसरे की सहायता नहीं चाहते हैं अर्थात् दूसरे से नहीं निकलवाते हैं और स्वयं अपने हाथ से भी नहीं निकालते हैं। इसप्रकार तृण स्पर्श परीषह को जीतने वाले वे मुनिराज भव भव में हमारे शरण होवें । ' 384 मल परीषह ( शरीर मलिन होने पर उसे सहन करना ) जीवन पर्यन्त जल से स्नान का त्याग करने वाले मुनिराज वन में नग्नरूप में खड़े रहते हैं । चलते समय धूप से पसीना बहता है, धूल उड़कर सब अंगों पर लग जाती है, शरीर मलिन हो जाता है । सम्पूर्ण शरीर को देखकर मुनिराज मन में मलिन भाव नहीं करते हैं । इसप्रकार मलजनित परीषह को जीतने वाले मुनिराज को हम सिर झुकाकर प्रणाम करते हैं। 2 - सत्कार - पुरस्कार परीषह ( विनय सत्कार आदि न करने पर खेद न मानना ) • जो मुनिराज महती विद्या के निधान, ज्ञान-जयी, चिरतपस्वी, अतुल गुणों के भंडार है; परन्तु जिनकी लोग वचन से विनय नहीं करते हैं तथा काया से प्रणाम नहीं करते हैं, फिर भी मुनिराज वहाँ खेद नहीं मानते हैं तथा हृदय में मलिनता नहीं आने देते हैं; ऐसे परम साधु के हम दिन-रात हाथ जोड़कर पैर पड़ते हैं। प्रज्ञा - परीषह ( विशेष ज्ञान होने पर भी अभिमान न करना) जो तर्क छन्द, व्याकरण आदि कलाओं के निधान हैं। जो आगम, अलंकार आदि के ज्ञाता हैं । जिसप्रकार सिंह की गर्जना सुनकर वन के हाथी भय मानकर भागते हैं, उसी प्रकार जिनकी सुमति देखकर परवादी दुःखी एवं लज्जित होते हैं। ऐसे महाबुद्धि के भाजन होने पर भी मुनिराज रंचमात्र भी अभिमान नहीं करते हैं। अज्ञान परीषह ( विशेष ज्ञान न होने पर या ज्ञान को हीनता होने पर दुःख न मानना) जो दिन-रात अपने आप में सावधान हैं, संयम में शूर हैं, परम वैरागी हैं, जिनको गुप्तियाँ पालते हुए बहुत दिन हो गये हैं । जो सम्पूर्ण परिग्रह एवं ममता के त्यागी हैं। " अभी तक मुझे विशेषज्ञान अवधिज्ञान या मनः पर्यज्ञान या केवलज्ञान नहीं हुआ है"- ऐसा विकल्प जो तपस्वी मुनिराज नहीं करते हैं, वे अज्ञान पर विजय पाने वाले बड़े भाग्यवान हैं । ' - 1. से 3. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, भूधरदास, अधिकार 4, पृष्ठ 33 4. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, भूधरदास, अधिकार 4, पृष्ठ 34 5. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, भूधरदास, अधिकार 4, पृष्ठ 34
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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